अगुस्टा वेस्टलैंड: ईडी के सामने भतीजे की पेशी, कमलनाथ बोले- राजनीति से लेना-देना नहीं

By | April 5, 2019

भोपाल। अगुस्टा वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलिकॉप्टर घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में मध्य प्रदेश के सीएम कमलनाथ के भतीजे रतुल पुरी गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय के सामने पेश हुए। इस बारे में सफाई देते हुए कमलनाथ ने कहा कि उनका (रतुल) राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है। कमलनाथ ने यह भी कहा कि जो भी मामला हो, उसकी जांच होनी चाहिए लेकिन ऐसे मुद्दे चुनाव के समय ही क्यों आ रहे हैं।
मामले को खुद से जोड़े जाने पर कमलनाथ ने स्पष्टीकरण देते हुए कहा, ‘वह स्वतंत्र हैं, उनका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है और मेरा उनके बिजनस से कोई संबंध नहीं है। यह जो कुछ भी है, इसकी जांच होनी चाहिए लेकिन ऐसे मुद्दे चुनाव के समय पर ही क्यों सामने आते हैं?’

हिंदुस्तान पावर प्रॉजेक्ट लिमिटेड के मुखिया हैं रतुल पुरी
इससे पहले ईडी ने विशेष न्यायाधीश अरविंद कुमार से कहा था कि हिन्दुस्तान पॉवर प्रॉजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के प्रमुख रतुल पुरी को इस मामले के कथित बिचौलिए सुशेन मोहन गुप्ता के साथ उनका सामना कराने के लिए तलब किया गया है। इसके बाद अदालत ने सुरेश मोहन गुप्ता की हिरासत में पूछताछ की अवधि तीन दिन बढ़ा दी थी। यह मामला अब रद्द हो चुके 3600 करोड़ रुपये के हेलिकॉप्टर सौदे से जुड़ा है।

गुरुवार को ईडी के सामने पेश होने से पहरे रतुल की कंपनी ने अपने बयान में कहा था, ‘वह ईडी जांच में पूरी तरह से सहयोग करेंगे और जरूरत पड़ने पर कोई भी स्पष्टीकरण या जानकारी देंगे।’ ईडी सूत्रों के अनुसार, इस मामले में हाल में सरकारी गवाह बने बिचौलिए और दुबई के कारोबारी राजीव सक्सेना द्वारा दर्ज बयान में पुरी का नाम सामने आया। ईडी के विशेष लोक अभियोजक डी पी सिंह और एन के मट्टा ने अदालत से कहा था कि एजेंसी ‘आरजी’ नाम के व्यक्ति की पहचान करना चाहती है, जिनके नाम से गुप्ता की डायरियों में 50 करोड़ रुपये से अधिक की एंट्री की गई हैं।

‘आरजी’ नाम की असली पहचान जानने में जुटी ईडी
एजेंसी ने अदालत से कहा था, ‘गुप्ता से हिरासत में पूछताछ की जरूरत है क्योंकि वह अपनी डायरियों में नामों की गलत व्याख्या बताकर जांच को भटका रहे हैं। इसमें कई पेजों और पेन ड्राइव डेटा में आरजी नाम का जिक्र है। वर्ष 2004 से 2016 के बीच आरजी से 50 करोड़ रुपये से अधिक प्राप्त हुए हैं जबकि गुप्ता द्वारा पहचाने गए आरजी यानी रजत गुप्ता ने सुशेन के साथ 2007 से नकद लेन-देन की बात स्वीकार की थी और इसकी मात्रा की जांच की जा रही है।’

एजेंसी ने कहा कि सुशेन का कहना है कि वह केवल एक ‘आरजी’ जो कि रजत गुप्ता हैं, को जानता है जबकि रजत ने ‘आरजी’ नाम से लेनदेन से इनकार किया है और कहा है कि वह यह व्यक्ति नहीं है। ईडी ने अदालत से कहा कि सुशेन सच और उचित तथ्य के साथ आगे नहीं आ रहा है और ना ही असली ‘आरजी’ की पहचान कर रहा है, जिसका एंट्री में जिक्र किया गया है।

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