
भोपाल। पेयजल संकट से जूझती प्रदेश की जनता को राज्य सरकार पानी का अधिकार देने जा रही है। सरकार सभी 378 नगरीय निकायों का वॉटर ऑडिट करा रही है। यह बात नगरीय विकास एवं आवास मंत्री जयवर्द्धन सिंह ने कही।
वे शुक्रवार को राज्य नगर नियोजन संस्थान पर्यावरण परिसर में जीआईएस स्टूडियो का उद्घाटन करने के बाद बोल रहे थे। सिंह ने कहा कि सरकार इजराइल की जल संरक्षण तकनीक को अपनाएगी। इसके लिए बारहमासी पानी के स्रोत तलाशे जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि भोपाल का मास्टर प्लान इसी साल तैयार हो जाएगा। कार्यक्रम में जनसंपर्क, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री पीसी शर्मा भी उपस्थित थे।
मंत्री सिंह ने कहा कि वर्ष 1995 के बाद भोपाल का मास्टर प्लान इस साल आएगा। इस पर जनता से ऑनलाइन सुझाव मांगे जाएंगे। जीआईएस सर्वे के आधार पर पांच शहरों (ओंकारेश्वर, बैतूल, डबरा, मंदसौर और भिंड) के मास्टर प्लान का काम अंतिम चरणों में है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश के 34 अमृत शहरों का मास्टर प्लान भी जीआईएस सर्वे के आधार पर तैयार होगा। सिंह ने कहा कि स्टूडियो का उपयोग सभी विभाग कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि शहर की झीलों का भी संरक्षण किया जाएगा। 2 करोड़ 70 लाख की लागत से निर्मित इस स्टूडियो को जनता से जोड़ने के लिए मोबाइल एप भी बनाया जाएगा।
अवैध कालोनियों को वैध करने बनेगा नया एक्ट
सरकार अवैध कॉलोनियों को वैध करने नया कानून लेकर आएगी। नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ने कहा कि अवैध कालोनियों को वैध करने के संबंध में विचार-विमर्श के बाद नया कानून बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि शहरों में रहने वाले गरीब लोगों को आवासीय पट्टे दिऐ जाएंगे और बड़े तालाब का संरक्षण करवाया जाएगा।
पेयजल के लिए अलग मास्टर प्लान बने
जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने कहा कि पानी की समस्या लगातार बढ़ रही है। इसलिए पेयजल को लेकर सभी शहरों का अलग मास्टर प्लान बनाया जाए। उन्होंने कहा कि एक बार मास्टर प्लान बनने के बाद उसमें परिवर्तन नहीं होना चाहिए। बहुत जरूरी होने पर शासन स्तर से ही परिवर्तन हो। उन्होंने कहा कि जीआईएस स्टूडियो बनने से विकास योजनाओं की प्लानिंग में सुविधा होगी। इन्वेस्टर्स के लिए भी उपयोगी होगा।