
भोपाल। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) भोपाल में परमाणु, रासायनिक, जैव और रासायनिक हमले से निपटने के लिए डॉक्टर तैयार होंगे। इसके लिए डिफेंस रिसर्च डेवलपमेंट आर्गनाइजेशन (डीआरडीओ), इग्नू और एम्स भोपाल मिलकर छह महीने का सर्टिफिकेट कोर्स शुरू करने जा रहे हैं। यहां पर सरकारी डॉक्टरों को इस तरह के हमले से प्रभावित मरीजों के इलाज की ट्रेनिंग दी जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कहने पर देश में पहली बार इसकी ट्रेनिंग शुरू की जा रही है। यह बात एम्स भोपाल के डायरेक्टर प्रो. (डॉ.) सरमन सिंह ने मंगलवार को पत्रकारों से बातचीत में कही। उनका एक साल का कार्यकाल पूरा होने पर वह मीडिया से बातचीत कर रहे थे।
डायरेक्टर ने बताया कि अभी तक इस तरह के हमलों से निपटने के लिए डॉक्टरों को किसी तरह की ट्रेनिंग नहीं दी गई है। अब इस ट्रेनिंग के लिए देश के तीन संस्थानों को चुना गया है। सेंट्रल इंडिया में सिर्फ मप्र शामिल है। इस ट्रेनिंग में बताया जाएगा कि इस तरह के हमलों से कौनसी बीमारी होती है। उनका इलाज कैसे किया जाना है। इलाज में किन दवाओं व उपकरणों की जरूरत होगी। क्या सावधानी रखी जानी है। जुलाई 2019 से यह कोर्स शुरू होगा।
डीआरडीओ की रिसर्च लैब इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन एंड एलाइड साइंस (इनमास) व इग्नू मिलकर इसका पाठ्यक्रम तैयार कर रहे हैं। तकनीकी सहयोग भी इनमास करेगा। डॉक्टरों को इग्नू और एम्स का संयुक्त सर्टिफिकेट मिलेगा। डॉ. सिंह ने बताया कि इनमास पहले एम्स के डॉक्टरों को ट्रेनिंग देगा। इसके बाद एम्स के डॉक्टर मास्टर ट्रेनर बनकर प्रदेश के अन्य सरकारी डॉक्टरों को प्रशिक्षित करेंगे। हर साल जनवरी और जुलाई में छह-छह महीने का कोर्स शुरू किया जाएगा। एक बैच में 12 डॉक्टरों को ट्रेनिंग दी जाएगी। स्वास्थ्य या चिकित्सा शिक्षा विभाग की तरफ से कोर्स के लिए डॉक्टर भेजे जाएंगे।