
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय में अनुच्छेद 35ए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका दाखिल की गई है। यह अनुच्छेद जम्मू-कश्मीर के नागरिकों को विशेषाधिकार देती है। इस मामले को सुनवाई के लिए अदालत ने 26-28 फरवरी के लिए सूचीबद्ध किया है।
उच्चतम न्यायालय में अनुच्छेद 35-ए पर सोमवार से शुरू होनी थी। उससे पहले घाटी में तनाव के मद्देनजर शुक्रवार को 150 से अधिक अलगाववादियों और पत्थरबाजों को हिरासत में लिया गया था।
पुलिस ने इसे नियमित प्रक्रिया बताते हुए कहा था कि कुछ नेताओं और पत्थरबाजों को हिरासत में लिया गया है। वहीं दूसरी ओर, जमात ने दावा किया कि यह क्षेत्र में और अनिश्चितता की राह प्रशस्त करने के लिए साजिश का हिस्सा है।
जमात पर यह पहली बड़ी कार्रवाई है। यह संगठन पूर्व में आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन की राजनीतिक शाखा के तौर पर काम करता था। हालांकि, उसने हमेशा खुद को एक सामाजिक और धार्मिक संगठन बताया है। शनिवार को अफवाह फैली थी कि केंद्र सरकार 35ए में संशोधन करने की कोशिशें कर रही है।
अफवाहों के बीच जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने आज यह साफ किया है कि राज्य सरकार 35ए से संबंधित अपने स्टैंड पर कायम है। इसमें किसी तरह का बदलाव नहीं होगा। राज्यपाल शासन के प्रवक्ता रोहित कंसल ने अनुच्छेद 35ए पर सरकार के स्टैंड में किसी भी बदलाव से इनकार किया। सुबह राज्यपाल की अध्यक्षता में हुई बैठक के बारे मीडिया को विस्तृत जानकारी देने के लिए बुलाई गई एक प्रेस वार्ता में कंसल ने ये बातें कहीं।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले में 35ए को हटाए जाने संबंधी अफवाहों के सवाल पर कंसल ने कहा कि अफवाहों पर ध्यान न दें। इसी को देखते हुए केंद्र ने जम्मू कश्मीर में 10 हजार सुरक्षा कर्मियों वाली 100 कंपनियां भेजी हैं। कश्मीर में बड़े स्तर पर सुरक्षाकर्मियों को सिर्फ आगामी आम चुनाव के मद्देनजर भेजा गया है। रही बात 35ए की तो इस पर सरकार का स्टैंड पहले वाला ही है।