प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर इलाहाबाद उच्च न्यायालय में दो जनहित याचिकाएं दायर, HC का तत्काल सुनवाई से इनकार।

By | January 19, 2024

(ब्यूरो रिपोर्ट समाचार भारती)

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अयोध्या में राम लला मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर दायर दो जनहित याचिकाओं पर विचार शुरू कर दिया है। इन याचिकाओं में 22 जनवरी को होने वाले इस समारोह को स्थगित करने की मांग की गई है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि मंदिर अभी भी निर्माणाधीन है और देवता की प्राण प्रतिष्ठा सनातन परंपरा के विपरीत है। वे यह भी तर्क देते हैं कि हिंदू कैलेंडर के मुताबिक पौष माह में कोई भी धार्मिक और मांगलिक कार्यक्रम आयोजित नहीं किए जाने चाहिए। याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति डी.के. उपाध्याय ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण मामला है और इसे गंभीरता से लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि याचिकाओं पर जल्द से जल्द सुनवाई की जाएगी। याचिकाओं पर सुनवाई के लिए 20 जुलाई, 2024 की तारीख तय की गई है। इस दिन दोनों पक्षों को अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाएगा।

अयोध्या में राम लला मंदिर का निर्माण एक लंबे समय से चल रहा विवाद है। इस मंदिर के निर्माण के लिए 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। इसके बाद मंदिर निर्माण का काम तेजी से शुरू हुआ और अब यह लगभग पूरा हो चुका है। 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर देशभर में उत्साह है। लाखों श्रद्धालु इस समारोह में शामिल होने के लिए अयोध्या पहुंच रहे हैं। याचिकाओं पर विचार से यह पता चलेगा कि क्या मंदिर अभी भी निर्माणाधीन होने की स्थिति में प्राण प्रतिष्ठा की जा सकती है या नहीं। साथ ही, यह भी स्पष्ट होगा कि क्या हिंदू कैलेंडर के मुताबिक पौष माह में कोई भी धार्मिक और मांगलिक कार्यक्रम आयोजित करने का प्रावधान है या नहीं।

याचिकाओं पर विचार के आधार पर निम्नलिखित परिणाम हो सकते हैं:

  • यदि अदालत याचिकाओं को खारिज करती है, तो प्राण प्रतिष्ठा समारोह बिना किसी बाधा के आयोजित किया जाएगा।
  • यदि अदालत याचिकाओं को स्वीकार करती है, तो प्राण प्रतिष्ठा समारोह स्थगित किया जा सकता है।

अदालत के फैसले से देशभर के हिंदुओं की भावनाओं पर भी असर पड़ सकता है।