
(रिपोर्ट – वार्षिक प्रजापति)
उत्तर प्रदेश में पुनरीक्षित मतदाता सूची के प्रकाशन के साथ ही राज्य में प्रशासनिक और पुलिस अफसरों के फेरबदल की कवायद तेज हो गई है। चुनाव आयोग के निर्देश के तहत पहले चरण में तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा कर चुके जिलों के डीएम, एसपी और नगर आयुक्तों के साथ ही विकास प्राधिकरणों के उपाध्यक्षों को बदलने पर नियुक्ति विभाग में मंथन शुरू हो गया है। इसके साथ ही कुछ ऐसे अधिकारियों को भी बदला जा सकता है जिनकी शिकायतें हैं या जिनकी कार्यशैली से सीएम योगी प्रसन्न नहीं हैं। राज्य में तीन साल का कार्यकाल पूरा करने वाले अफसरों में कौशांबी और गाजियाबाद के डीएम शामिल हैं। अलीगढ़ के जिलाधिकारी को अभी तीन साल पूरे नहीं हुए हैं, पर वे भी फेरबदल की जद में आ सकते हैं।
सूत्रों के अनुसार शिकायत के आधार पर लखीमपुर, चित्रकूट, अंबेडकर नगर, सुल्तानपुर, जालौन, फतेहपुर, सोनभद्र, सीतापुर, लखनऊ और मेरठ शाहजहांपुर आदि जिलों के डीएम प्रमुख हैं। इन जिलों के डीएम को बदलने के पीछे मुख्य कारणों में इनकी कार्यशैली, इनके द्वारा किए गए कार्यों और इनके ऊपर की शिकायतें शामिल हैं। कुछ जिलों के डीएम के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप भी हैं। फेरबदल की कवायद के तहत इन अधिकारियों को दूसरे जिलों में भेजा जा सकता है या फिर उन्हें अन्य विभागों में भेजा जा सकता है। चुनाव आयोग के निर्देश के तहत राज्य में 18 अप्रैल तक सभी जिलाधिकारियों, पुलिस अधीक्षकों और नगर आयुक्तों का कार्यकाल पूरा होना चाहिए। ऐसे में माना जा रहा है कि राज्य में जल्द ही प्रशासनिक और पुलिस अफसरों के फेरबदल की सूची जारी की जा सकती है। फेरबदल की कवायद को लेकर राजनीतिक दलों में भी चर्चा शुरू हो गई है। कुछ दलों का कहना है कि यह फेरबदल चुनावी रणनीति के तहत किया जा रहा है। वहीं, कुछ दलों का कहना है कि यह फेरबदल राज्य की बेहतरी के लिए किया जा रहा है।