
नई दिल्ली। अमेरिका और ईरान के बीच युद्ध की आहट के बीच भारत के नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) ने शनिवार को कहा कि भारतीय एयरलाइनों ने ईरानी हवाई क्षेत्र के प्रभावित हिस्से से बचने और उड़ान मार्ग को उपयुक्त ढंग से पुनर्निर्धारित करने का फैसला किया है। वहीं अमेरिकी की तरफ से ईरान पर सोमवार को नए प्रतिबंध लगाए जाने का ऐलान किया है साथ ही युद्ध की संभावनाओं पर भी विचार हो रहा है। बता दें कि गुरुवार को ईरान ने अपने हवाई क्षेत्र में एक अमेरिकी सैन्य ड्रोन को मार गिराया था। इसके बाद अमेरिका ने चेतावनी जारी कर वाणिज्यिक विमानों को निशाना बनाए जाने की संभावना जाहिर की।
कुछ फ्लाइट्स को होगी दिक्कत
ईरान के हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल नहीं करने के फैसले से यूरोप और अमेरिका जाने वाली फ्लाइट्स क अपनी यात्रा पूरा करने में करीब एक घंटे ज्यादा समय लगेगा। साथ ही किराया भी बढ़ेगा। बता दें कि 26 फरवरी को बालाकोट हमले के बाद से भारतीय एयरलाइनों के लिए पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र का अधिकांश हिस्सा बंद है. ऐसे में शनिवार को प्रभावित ईरानी हवाई क्षेत्र से बचने के निर्णय से पश्चिम एशियाई देशों, यूरोपीय देशों, और अमेरिका की ओर जाने वाली अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए दिक्कतें पैदा हो सकती हैं।
बढ़ सकती हैं तेल की कीमतें
अमेरिका और ईरान के बीच जारी तनाव का सबसे ज्यादा असर भारत की ऊर्जा जरूरतों पर पड़ेगा। दोनों देशों के बीच युद्ध होने की स्थिति में भारत में तेल की कीमतों में भारी वृद्धि हो सकती है। भारत इस वक्त सऊदी अरब समेत अन्य देशों से तेल का आयात कर रहा है। लेकिन इसे लाने का रास्ता होरमुज जलडमरुमध्य फारस की खाड़ी में पड़ता है। यह ईरान और ओमान के जल क्षेत्र में है। युद्ध की स्थिति में ईरान इस रास्ते को रोक सकता है। ऐसे में भारत को अदन की खाड़ी वाले खतरनाक और लंबे रास्ते से तेल टैंकरों को लाना होगा। इससे कच्चे तेल के आयात की लागत बढ़ेगी, जिससे तेल की कीमतों में वृद्धि होगी।