
नई दिल्ली। चौतरफा प्रतिस्पर्धा और हाईटेक दौर में भी रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय बहुत पिछड़ा हुआ है। यहां विद्यार्थियों को ऑनलाइन परीक्षा और डिग्री देने की शुरुआत अब तक नहीं हुई है। ऐसा तब है, जबकि देश में कई संस्थाएं इसकी शुरुआत कर चुकी हैं।
विश्वविद्यालय और उससे सम्बद्ध कॉलेज में मौजूदा वक्त कला, वाणिज्य, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, विधि और अन्य संकाय में स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम संचालित हैं। प्रथम, द्वितीय और तृतीय वर्ष तथा स्नातकोत्तर स्तर पर छात्र-छात्राओं के लिए साल में एक बार या सेमेस्टर परीक्षा देकर पास होने का ही विकल्प है। ऑनलाइन कोर्स पढऩे और परीक्षा देकर त्वरित डिग्री देने का प्रावधान नहीं है।
नवाचार में सबसे पीछे
विद्यार्थियों को ऑनलाइन परीक्षा का विकल्प और डिग्री उपलब्ध कराने संबंधित नवाचार के बारे में रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय बहुत पीछे है। बीते 61 साल में विश्वविद्यालय ने ऐसे किसी नवाचार पर विचार तक नहीं किया है। ऐसा तब है जबकि देश और विदेश की कई शैक्षिक और भर्ती संस्थाएं इसकी शुरूआत कर चुकी हैं। मानव संसाधन विकास मंत्रालय और यूजीसी ने भी दो वर्ष पूर्व संस्थाओं से ऑनलाइन परीक्षा और डिग्री देने के लिए प्रस्ताव मांगे थे।
कोर्स भी नहीं ऑनलाइन
यूजीसी ने विश्वविद्यालयों को सभी संकाय में 20 प्रतिशत कोर्स ऑनलाइन बनाने को कहा था। संस्थाओं को इसे यूजीसी के स्वयं प्लेटफार्म से जोडऩे के निर्देश दिए थे। इसके बाद विभिन्न चरणों में पाठ्यक्रमों को 40, 60, 80 और शत-प्रतिशत ऑनलाइन किया जाना था। रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय ने इसे भी अमल नहीं किया है।
वरना यह हो फायदा…
- विद्यार्थियों को ऑनलाइन पढऩे और परीक्षा देने का अवसर
- त्वरित डिग्री/डिप्लोमा उपलब्ध
- वैश्विक स्तर तक बढ़ेगा शिक्षा का दायरा
- विश्वविद्यालय की देरी से डिग्री देने की प्रवृत्ति पर अंकुश
- पाठ्यक्रमों की बनेगी विश्व स्तरीय पहचान
- देश-विदेश के विद्यार्थियों के होंगे पंजीयन
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