
मुंबई। आईएलएफएस के दिवाला संकट के बाद गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) में नकदी की कमी और वित्तीय लेन-देन के आधार आंकड़ों के इस्तेमाल पर उच्चतम न्यायालय की रोक की वजह से दिसंबर 2018 को समाप्त तीसरी तिमाही में वित्तीय संस्थानों के सूक्ष्म ऋण में 15 प्रतिशत की गिरावट आई है। ऋण सूचना प्रदाता कंपनी क्रिफ हाई मार्क के आंकड़ों के अनुसार चालू वित्तवर्ष की तीसरी तिमाही में सूक्ष्म ऋण वितरण 41,840 करोड़ रुपये रहा, जो इससे पिछली तिमाही में 49,450 करोड़ रुपये था।
एजेंसी के उपाध्यक्ष परिजात गर्ग ने कहा, ‘‘तिमाही के दौरान दो प्रमुख बदलाव हुए जिससे यह गिरावट आई। पहला नकदी का संकट और दूसरा उच्चतम न्यायालय का फैसला है।’’ गर्ग ने कहा कि आधार पर उच्चतम न्यायालय के फैसले में गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों समेत सभी वित्तीय संस्थानों पर उपयोक्ताओं की जानकारियां रखने पर रोक लगा दी गई है। इसके असर के तौर पर ऋण वितरण में कमी देखी गई है। दिसंबर में ऋण वितरण में गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की हिस्सेदारी मामूली तौर पर घटी है। यह 34.79 प्रतिशत रही है।