
अब जैसे-जैसे चुनाव पास आ रहे हैं, सोशल मीडिया पर राजनीतिक अभियान भी तेजी से बढ़ रहा है. इस अभियान के दुरुपयोग से फर्जी खबरों और गलत जानकारियों के प्रसार को रोकने के लिये आगामी लोकसभा चुनाव में चुनाव आयोग ने सख्त प्रावधान किए हैं. रविवार को लोकसभा चुनाव कार्यक्रम की घोषणा करते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने बताया कि इस चुनाव में हिस्सा लेने वाले सभी उम्मीदवारों को अपने सोशल मीडिया अकांउट की जानकारी आयोग को देनी होगी. चुनाव में सोशल मीडिया के दुरुपयोग को रोकने के लिये आयोग ने लोकसभा चुनाव में पहली बार यह कदम उठाया है. इससे पहले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में भी यह व्यवस्था की गयी थी.
आपराधिक मामलों की जानकारी भी, उम्मीदवारों प्रचार में देना होगा
मुख्य चुनाव आयुक्त ने बताया कि आयोग ने 17वीं लोकसभा के चुनाव में स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव प्रक्रिया को सुनिश्चित करने के लिए और भी सख्त कदम उठाया है. इसके तहत उम्मीदवारों को अपने खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों की जानकारी भी प्रचार अभियान के दौरान कम से कम तीन बार ऑडियो-वीडियो के जरिए सार्वजनिक करनी होगी. इसके अलावा आयोग ने उम्मीदवारों द्वारा दिए जाने वाले हलफनामे के फॉर्मेट में भी जरूरी बदलाव किए हैं.
सी-विजिल ऐप से कर सकते हैं शिकायत
उन्होंने बताया कि ज्यादातर लोग जिस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करते हैं जैसे फेसबुक, ट्विटर और गूगल, इन पर फर्जी सूचना और गलत जानकारी का अभियान चलता है. इसे रोकने में आयोग ने इन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से मदद की पहल की है. वहीं, मीडिया में पेड न्यूज एवं फर्जी खबरों के प्रसार को रोकने के लिये राज्य और जिला स्तर पर मीडिया निगरानी समितियों की भी मदद ली जाएगी. उन्होंने बताया कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव बरकरार रखने में जनता की भागीदारी को भी ध्यान में रखते हुए, पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर मोबाइल ऐप सी-विजिल का इस्तेमाल किया जायेगा. इसके जरिए कोई भी नागरिक निर्वाचन नियमों के उल्लंघन की शिकायत कर सकता है. खास बात यह है कि शिकायत मिलने के बाद संबंधित प्राधिकारी को 100 मिनट के भीतर कार्रवाई करनी पड़ेगी. बता दें कि इससे पहले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में इस ऐप का सफलतापूर्वक इस्तेमाल किया जा चुका है.
संवेदनशील क्षेत्र होंगे सख्त निगरानी में
मुख्य चुनाव आयुक्त ने चुनाव में सुरक्षा के पुख्ता इंतजामों की जानकारी देते हुए बताया कि संवेदनशील क्षेत्रों में पर्याप्त सुरक्षा बलों और सीसीटीवी कैमरों की मदद से मतदान केंद्रों की निगरानी की जाएगी. इसके अलावा संवेदनशील इलाकों में वेबकास्टिंग तथा स्वतंत्र पर्यवेक्षकों की मदद ली जाएगी. उन्होंने कहा कि आयोग के मतदाता हेल्पलाइन नंबर 1950 के माध्यम से भी मतदाता चुनाव प्रक्रिया संबंधी शिकायत एवं सुझावों से आयोग को अवगत करा सकते हैं.
चुनाव चिन्ह के साथ उम्मीदवारों की तस्वीर भी होगी
अरोड़ा ने बताया कि प्रत्येक मतदान केंद्र पर एक मतदाता सहायता केन्द्र होगा. इसके जारिए मतदताओं को मतदान संबंधी हर जानकारी दी जाएगी. उन्होंने बताया कि मतदाताओं की पहचान के लिए फोटोयुक्त मतदाता पर्ची मान्य नहीं होगी. इसके लिए मतदाताओं को पासपोर्ट और आधार कार्ड सहित 11 अन्य पहचान दस्तावेजों को मान्यता दी गयी है. इसके साथ ही ईवीएम में उम्मीदवारों के चुनाव चिन्ह के साथ उनकी तस्वीर भी दिखेगी और ईवीएम में अंतिम बटन नोटा का होगा.