साधना सिंह ने अब तक कोई चुनाव नहीं लड़ा है लेकिन वे अपने पति शिवराज सिंह के साथ उनके राजनीतिक सफर में हर पल साथ रही हैं. शिवराज सिंह चौहान मध्यप्रदेश के अपने गृह जिले सीहोर के साथ-साथ विदिशा, रायसेन, होशंगाबाद और भोपाल जिले में दो से तीन दशक पहले सैकड़ों किलोमीटर की पदयात्राएं कर चुके हैं. उनके पैदल घूमने के कारण ही उन्हें लोग ‘पांव-पांव भैया’ भी कहते रहे हैं. इन पदयात्राओं से शिवराज ने जनमानस में अपनी गहरी पैठ जमाई. साधना सिंह भले ही सक्रिय राजनीति में नहीं रही हैं लेकिन शिवराज के मुख्यमंत्री के 13 साल के कार्यकाल में और पहले भी वे निरंतर जनसंपर्क करती रही हैं. यदि शिवराज सिंह चाहेंगे तो साधना सिंह का विदिशा से चुनाव लड़ना तय है.
विदिशा क्षेत्र बीजेपी का गढ़ होने के कारण कांग्रेस 1989 से इस सीट पर पराजित होती आ रही है. कांग्रेस इस सीट पर सिर्फ 1980 और 1984 में जीत हासिल कर सकी
विदिशा लोकसभा क्षेत्र (Vidisha Loksabha constituency) सन 1967 में अस्तित्व में आया था. सन 1967 का चुनाव देश की चौथी लोकसभा के लिए हुआ था. वर्तमान में केंद्रीय विदेश मंत्री और बीजेपी की नेता सुषमा स्वराज (Sushma Swaraj) इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रही हैं. वे इस क्षेत्र से 2009 से लगातार दो चुनाव जीती हैं. सुषमा से पहले शिवराज सिंह (Shivraj Singh Chauhan) इस क्षेत्र से सांसद रहे हैं. उन्होंने इस क्षेत्र से 1991 का उपचुनाव और उसके बाद लगातार चार चुनाव जीते. सन 1991 में पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी ( )ने इस सीट से चुनाव जीता था. उन्होंने यह सीट छोड़ी तो यह शिवराज सिंह का गढ़ बन गई.
विदिशा लोकसभा क्षेत्र के सन 1967 में अस्तित्व में आने के बाद पहला चुनाव जनसंघ के पंडित शिव शर्मा ने जीता था. सन 1972 में जनसंघ के टिकट पर प्रसिद्ध अखबार इंडियन एक्सप्रेस और जनसत्ता के मालिक रामनाथ गोयनका चुनाव जीते. सन 1977 में यह सीट भारतीय लोकदल ने जनसंघ से छीन ली और राघवजी भाई सांसद बने. हालांकि आगे चलकर राघवजी ने लोकदल से नाता तोड़ लिया और बीजेपी में शामिल हो गए. वे मध्यप्रदेश में कई साल मंत्री भी रहे.