
भोपाल। लोकसभा चुनावों में अब कुछ ही समय बचा है। ऐसे में अब तक मध्यप्रदेश में कांग्रेस-भाजपा के प्रत्याशी घोषित न होने से कार्यकर्ता असमंजस की स्थिति में हैं। जिसके चलते दोनों ही पार्टियां सक्रिय रूप से प्रचार नहीं कर पा रही हैं।
जानकारों का मानना है कि कांग्रेस की रणनीति फिलहाल कागजों या बैठकों तक ही सीमित है। सूत्रों के अनुसार कांग्रेस पहले यह तय करना चाह रही है कि भाजपा इन सीटों से किसे टिकट देगी। जिसके बाद ही वह अपने पत्ते खोलना चाहती है।
सीटों को लेकर ज्यादा चिंतित…
उधर, भाजपा की हालत भी कांग्रेस से कुछ ज्यादा अलग है। एक ओर जहां भाजपा अपने किलों को बचाने के लिए कार्य करना चाहती है। वहीं इस बार भी पिछले 2014 चुनावों की तरह प्रदेश भर में जीत हासिल करना चाहती है।
लेकिन भाजपा अपनी खास सीटों को लेकर ज्यादा चिंतित है। कारण ये है कि भोपाल जैसी सीट से दिग्विजय सिंह का उतरना उनके लिए खतरे की घंटी के समान बना हुआ है। वहीं यदि ऐसे ही कद्दावर नेता इंदौर और विदिशा से भी कांग्रेस ने उतार दिए तो भाजपा का अपनी ये सीटें भी बचाना मुश्किल पड़ सकता है।
इन्हीं सब के चलते दोनों पार्टियां कोई जोखिम नहीं लेना चाहती और दूसरे के प्रत्याशियों की जानकारी के बाद ही उनकी काट के अपने प्रत्याशियों को सामने लाना चाहती हैं।
दरअसल मध्य प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में से बीजेपी ने अब तक केवल 18 सीटों पर उम्मीदवार तय किए हैं। लेकिन भोपाल, इंदौर और ग्वालियर सीट अभी होल्ड पर रखा है। सूत्रों के मुताबिक बीजेपी की निगाहें कांग्रेस की लिस्ट पर टिकी हैं। भोपाल से कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह को उम्मीदवार बनाए जाने के बाद से बीजेपी में खलबली मच गई है।
भाजपा की चिंता फिर आई सामने…
अब तक दिग्गी के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए जो नाम सामने आ रहे थे उनमें पूर्व सीएम उमा भारती व पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान का नाम था, लेकिन उमा के मना करने के बाद केवल शिवराज ही रेस में बने हुए थे, लेकिन अब एक बार फिर एकाएक केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का नाम narendra singh tomars name trand in bhopal loksabha seat सामने आने से भोपाल को लेकर भाजपा की चिंता फिर सामने आ गई है। इससे पहले भाजपा के ही एक नेता शिवराज को दिग्विजय के सामने कमजोर प्रत्याशी कह चुके हैं।
दरअसल भाजपा के शेष 11 नामों की घोषणा आगामी दो-तीन दिन में हो सकती है। वहीं प्रदेश के बड़े शहरों वाली सीटों पर पेंच फंसा हुआ है। भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, और विदिशा पर सस्पेंस बरकरार है। वहीं भोपाल को लेकर बीजेपी की उलझन बढ़ती जा रही है।