
भोपाल। कमलनाथ सरकार ने ई टेंडर महाघोटाले की जांच तेज कर दी है. घोटाले की जांच कर रही ईओडब्ल्यू ने एक पूर्व मंत्री के करीबी बताये जा रहे ब्रोकर को गिरफ्तार किया है. आरोप है कि इस ब्रोकर ने जल संसाधन विभाग के टेंडर में ओस्मो कंपनी के संचालकों की सहायता से टेंपरिंग कर दूसरी कंपनी को फायदा पहुंचाया. अब रिमांड लेकर आरोपी से पूछताछ की जा रही है.
चौथी गिरफ्तारी
कमलनाथ सरकार में सबसे पहले ई टेंडर मामले में एफआईआर दर्ज की गई थी. इस मामले में अभी तक तीन से ज्यादा आरोपी गिरफ़्तार किए जा चुके हैं. EOW ने जल संसाधन विभाग के टेंडर में टेंपरिंग करने वाले एक और आरोपी मनीष खरे को गिरफ्तार किया है. वो पेशे से इंजीनियर हैं और उसकी तीन कंपनियां हैं.
कब हुआ था ख़ुलासा
जल संसाधन विभाग का टेंडर 8 जनवरी 2018 को खुला और 6 फरवरी को बंद हुआ था.ओरिजनल टेंडर 116 करोड़ का था, लेकिन आरोपी खरे ने ओस्मो कंपनी के संचालकों के साथ मिलकर टेम्परिंग के बाद टेंडर को 105 करोड़ का कर दिया. खरे ने ये टेंडर सोरठिया बेलजी एंड रत्न कंपनी को दिलाया था. ईओडब्ल्यू पहले ही ओस्मो कंपनी के संचालकों को पकड़ चुकी है.आरोपी खरे को इसके एवज में 1 करोड़ 23 लाख कमीशन मिला था. हालांकि टेंडर निरस्त होने के बाद आरोपी खरे ने कमीशन की पूरी राशि अकाउंट के जरिये वापस कर दी थी. अकाउंट के ट्रांजेक्शन के साथ तमाम तकनीकी साक्ष्य जुटाने के बाद आरोपी खरे को गिरफ्तार किया गया.
क्या है पूरा मामला?
ई-टेंडर घोटाले की जांच लंबे समय से अटकी हुई थी. करीब 3 हजार करोड़ के ई टेंडर घोटाले में साक्ष्यों एवं तकनीकी जांच में पाया गया कि ई प्रोक्योरमेंट पोर्टल में छेड़छाड़ कर मप्र जल निगम मर्यादित के 3 टेंडर, लोक निर्माण विभाग के 2, जल संसाधन विभाग के 2, मप्र सड़क विकास निगम का एक, लोक निर्माण विभाग की पीआईयू का एक. इस तरह कुल 9 निविदाओं के सॉफ्टवेयर में छेड़छाड़ की गई. EOW ने कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉंस टीम को एनालिसिस रिपोर्ट के लिए 13 हार्ड डिस्क भेजी थीं.इसमें से टेंपरिंग की पुष्टि हुई थी.ईओडब्ल्यू ने इस मामले में एफआईआर दर्ज की थी.