
दिलशाद अहमद (सलाहकार संपादक)
सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड पर रोक लगा दी है। यह रोक तत्काल प्रभाव से लागू होगी। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया है कि वह स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) से 2019 से अब तक इलेक्टोरल बॉन्ड के बारे में जानकारी ले। एसबीआई को चुनाव आयोग को 3 हफ्ते के अंदर यह जानकारी देनी होगी। चुनाव आयोग को 6 मार्च तक एसबीआई से मिली जानकारी को अपनी वेबसाइट पर साझा करना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को निर्देश दिया है कि वह सभी राजनीतिक दलों को मिले चंदे की जानकारी चुनाव आयोग को दे। सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों को निर्देश दिया है कि जो इलेक्टोरल बॉन्ड अभी तक कैश नहीं हुए हैं, उन्हें वे बैंक को वापस कर दें।
यह फैसला भारत की चुनावी व्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह चुनावी चंदे में पारदर्शिता लाएगा। राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे के बारे में लोगों को जानकारी देगा। यह राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे के बारे में चुनाव आयोग को जानकारी देगा। यह फैसला भारत में चुनावों को अधिक स्वतंत्र और निष्पक्ष बनाने में मदद करेगा। यह फैसला कई याचिकाओं पर सुनवाई के बाद आया है, जिनमें इलेक्टोरल बॉन्ड की वैधता को चुनौती दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इलेक्टोरल बॉन्ड चुनावी चंदे में पारदर्शिता नहीं लाते हैं और वे राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे के बारे में लोगों को जानकारी नहीं देते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इलेक्टोरल बॉन्ड भारत की चुनावी व्यवस्था के लिए खतरा हैं। यह फैसला भारत की चुनावी व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण बदलाव है और यह भारत में चुनावों को अधिक स्वतंत्र और निष्पक्ष बनाने में मदद करेगा।