
(ब्यूरो रिपोर्ट समाचार भारती)
जौनपुर काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति एवं उच्च शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश के पूर्व चेयरमैन प्रोफेसर गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने कहा है कि शिक्षा के आयाम स्थाई होते हैं, लेकिन समय, स्थान और विषय के अनुसार उनकी व्याख्या में परिवर्तन होता रहता है। उन्होंने कहा कि किसी विषय पर शोध तभी करना चाहिए जब आपके मन में उस विषय पर कोई सोच और विचार हो, साथ ही उसमें अस्पष्टता भी हो। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के संकाय भवन के संगोष्ठी हाल में सोमवार को दो सप्ताह का कैपेसिटी बिल्डिंग प्रोग्राम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम रिसर्च मेथाडोलॉजी, डाटा एनालिसिस यूजिंग एसपीएसएस और एकेडमिक राइटिंग पर आधारित है। यह कार्यक्रम इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल साइंस रिसर्च (आईसीएसएसआर) नई दिल्ली के सौजन्य से आयोजित किया जा रहा है।
प्रो. त्रिपाठी ने कहा कि शोध ज्ञान के सृजन को बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि विज्ञान और तकनीक समाज के लिए हैं, लेकिन अगर इनमें दर्शन, दृष्टि और विचार नहीं हों तो ये समाज का विकास करने की बजाय विनाश कर सकते हैं। विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. वंदना सिंह ने कहा कि कैपेसिटी बिल्डिंग प्रोग्राम शिक्षकों के शैक्षणिक विकास के साथ-साथ उनके ज्ञान में वृद्धि भी करेगा।उन्होंने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम से शिक्षक एक-दूसरे विश्वविद्यालय के लोगों के साथ सांस्कृतिक और शैक्षणिक संबंध भी बना सकते हैं। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय मानविकी संकाय के पूर्व संकाय अध्यक्ष प्रोफेसर रामजी लाल ने भी इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि यह फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम विश्वविद्यालय में एक नया वातावरण पैदा करेगा।
कार्यक्रम समन्वयक:
- कार्यक्रम समन्वयक प्रोफेसर अजय प्रताप सिंह ने अतिथियों का स्वागत किया।
- सह समन्वयक डॉक्टर मनोज पांडेय ने कैपेसिटी बिल्डिंग प्रोग्राम की रूपरेखा पर विस्तार से प्रकाश डाला।
- संचालन डॉ. अनु त्यागी ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. जाह्नवी श्रीवास्तव ने किया।