दूरगामी हितों से युक्त मोदी सरकार की अभूतपूर्व पहल .

By | November 15, 2018


समाचार भारती
‘मैंने सार्वजनिक स्थानों पर वर्तमान में प्रचलित रौशनी देने वाले बल्बों को लेड[LED] से बदलने पर जोर दिया, जिसमें बहुत ही कम विद्युत की खपत होती है. इस मुहिम के अंतर्गत १०० शहरों में से १/५ में काम पूर्ण हो चुका है. एक बार इन सभी शहरों में लेड बल्ब चलन में आ जायेंगे तो हर वर्ष २१,५०० मेगावाट विद्युत की बचत होगी.’मोदी ने एक समय ये बात देश के अंग्रेजी दैनिक समाचार-पत्र हिंदुस्तान टाइम्स में कही थी. प्रथम दृष्टया ये बात छोटी जरूर लग सकती है लेकिन ध्यान से विचार करने पर इसके दूरगामी प्रभावों को समझा जा सकता है. और, इस प्रकार के मोदी द्वारा किये गए कार्यों की सूची बहुत लम्बी है. चलिए हम उनमें से कुछ कार्यों पर नज़र डालते है. भारत में अपना व्यापार करना बड़ा कठिन है, इसमें संदेह नहीं. इसको सुधारने के लिए अनेक कदम उठाये गए हैं, जैसे कि आयात/निर्यात के फॉर्म में संसोधन. इनमें कभी शर्तों से भरे ११ व ७ पन्ने हुआ करते थे, जिन्हें[शर्त] पूर्ण करते-करते ज्यादातर आवेदक थक-हार कर बीच में ही काम छोड़ दिया करते थे. लेकिन अब इन पन्नों संख्या घटा कर ३ कर दी गयी है, और सारी मंजूरियां ऑनलाइन कर दी गयीं हैं. घिसे-पिटे श्रम-कानूनों ने तो अक्षमता को बढ़ावा देकर आर्थिक वृध्दि को मंद करने का ही काम किया है. स्वयं के उद्धोग को स्थापित करने वालों को प्रताड़ित करने वाले ऐसे ४४ कानूनों को चिन्हित कर उनमें संसोधन कर दिया गया है. इसके फलस्वरूप ही अब ४० से कम श्रमिकों को रोजगार देने वाली कम्पनीयों को कड़े श्रम नियमों के पालन करने से मुक्ति मिली है. रात की पाली में महिलाओं के काम करने पर लगे प्रतिबन्ध को भी हटा दिया गया है. कांग्रेस के ६० वर्षों के शासन में जिस एक चीज़ पर सबसे कम भरोसा किया है, वो है हमारा स्वदेशी पारंपरिक ज्ञान. इस उदासीनता को तोड़ते हुए केंद्र सरकार ने, उदाहरण के लिए, “आयुष” का एक अलग मंत्रालय गठित किया है, जिसमें योग सहित अन्य प्राचीन चिकित्सा पद्धतियाँ शामिल की गयी हैं. देश की प्रतिष्ठित पत्रिका ‘इंडिया टुडे’ का इस बारे में क्या कहना है देखें- ‘शल्य-चिकत्सा से लेकर कैंसर जैसे मारक रोगों का इलाज आयुर्वेद में दर्ज है. प्रधानमंत्री मोदी दुनिया में जहां भी गए उन्होंनें भारतीय पारंपरिक औषाधि को प्रोत्साहित करने के लिए क़रार किये, साथ ही वहाँ स्थित भारतीय-दूतावास में आयुष सूचना केंद्र भी स्थपित किये.’[११ नव.२०१५]
एनडीए सरकार आने के पूर्व देश में उत्पाद के परिवहन की लागत उत्पाद की लागत का करीब १४% हुआ करती थी, वही वो अब घटकर ८% रह गयी है. इसके पीछे पूरे देश में तेजी से विकसित होते आवागमन के साधन है. आज राष्ट्रीय राजमार्ग बनने की औसत दर २७ की.मी. प्रतिदिन है, जो कि यूपीऐ की सरकार के दौरान १४ की.मी. प्रतिदिन थी. इसी प्रकार २००९-१४ के बीच पांच साल में ७,६०० की.मी. रैल पटरियां बिछायी गयीं; जबकि, २०१४-१८ के बीच ४ सालों में ९,५२८ की.मी. पटरियां बिछायी गयीं. इसी प्रकार २०१३-१४ तक ५६% गाँवों तक उन्नत सड़क मार्ग से पहुँच जा सकता था, जबकि अब ऐसे गाँवों की संख्या बढ़कर ८२% हो चुकी है.
नरेंद्र मोदी जिस काम के लिए सदा याद किये जाते रहेंगे वो है अक्षय उर्जा को लेकर उनके द्वारा की गयी अभूतपूर्व पहल. आज भारत में पवन उर्जा से प्राप्त विद्युत क्षमता १९००० मेघावाट है, जिसमे अकेले गुजरात का हिस्सा ३,१४७ मेघावाट है. विश्व प्रसिद्ध उर्जा विशेषज्ञ, नरेंद्र तनेजा का इस विषय पर क्या कहना है देखें-‘ भारत में अक्षय उर्जा [सौर,पवन] का युग दरअसल दो साल पहले शुरू हुआ. २०१४ में सौर उर्जा का उत्पादन ३००० मेघावाट था, जिसमें गुजरात की हिस्सेदारी १००० मेघावाट से अधिक थी. आज इसका उत्पादन बढ़कर ६००० मेघावाट हो चुका है. विकासशील देश भारत से प्रेरणा ले रहें हैं. सोलर टैरिफ[शुल्क] जो कभी १२ से १६ रूपए था वह घटाकर ४.५० कर दिया है.इस प्रकार पिछले दो साल में अक्षय उर्जा के क्षेत्र में हुई पहल की वजह से भारत आने वाले दशकों में उर्जा स्वतंत्रता हासिल कर पायेगा, और आयातित तेल पर उसकी निर्भरता ख़त्म हो जायेगी. ऐसा अनुभव हो रहा है कि केंद्र सरकार भारत को अक्षय उर्जा का वैश्विक केंद्र बनाने की सोच रही है. उसके लिए जरूरी उपकरण, शिक्षा और इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जा रहा है. सन २०२२ तक अक्षय उर्जा से १.७५ लाख मेघावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है.’

लेखक
इ. राजेश पाठक

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