
लंदन। आईसीसी वर्ल्ड कप का 12वां संस्करण गुरुवार से शुरू हो रहा है जहां 10 टीमें क्रिकेट का सरताज बनने के लिए जद्दोजहद करेंगी। 46 दिन तक चलने वाले इस टूर्नामेंट में कुल 48 मैच खेले जाएंगे। टूर्नमेंट का पहला मुकाबला मेजबान इंग्लैंड और साउथ अफ्रीका के बीच खेला जाएगा। दोनों टीमों ने अभी तक एक बार भी वर्ल्ड कप नहीं जीता है।
इंग्लैंड मेजबान होने के चलते दावेदार माना जा रहा है तो वहीं, ऑस्ट्रेलिया भी स्मिथ और वॉर्नर के आने से मजबूत हुआ है। भारतीय टीम विराट कोहली की कप्तानी में उतरेगी और तीसरी बार इस खिताब को जीतने की कोशिश करती नजर आएगी।
ग्रुप में नहीं बांटी टीम
इस संस्करण में टूर्नमेंट के फॉर्मेट में बदलाव किया गया है और इस बार टीमों को ग्रुप में बांटा नहीं गया। इस बार हर टीम को हर टीम से मैच खेलने होंगे और सेमीफाइनल में वे टीमें पहुंचेंगी जो लीग दौर के अंत के बाद अंकतालिका में शीर्ष-4 में होंगी। एक टीम लीग चरण में कुल 9 मैच खेलेगी।
फॉर्मेट बदला, लेकिन कम नहीं रोमांच
बदले हुए फॉर्मेट के चलते यह टूर्नमेंट थोड़ा लंबा जरूर हो सकता है लेकिन रोमांच की कमी शायद ही रहे। इस बात का अंदाजा अभ्यास मैचों से लग चुका है। इस तरह के फॉर्मेट में अमूमन बेहतरीन प्रतिस्पर्धा देखने को मिलती है। इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) इसका अच्छा उदाहरण है।
प्रैक्टिस मैचों में ही रनों की बारिश
प्रैक्टिस मैच में इस बात के संकेत दे दिए हैं कि टूर्नमेंट में रनों की बारिश हो सकती है। वेस्टइंडीज ने अभ्यास मैच में जहां किवी टीम के खिलाफ 400 का आंकड़ा पार किया तो वहीं भारत ने बांग्लादेश के खिलाफ 350 रनों से ज्यादा बनाए। सभी टीमों के लिए जरूरी होगा कि वह अपने खेल में निरंतरता बनाए रखें क्योंकि इस तरह के फॉर्मेट में यही एक चीज है जो टीम को बिना किसी परेशानी के सेमीफाइनल में पहुंचा सकती है।

हालात ऐसे भी हो सकते हैं कि अंतिम-4 में जाने के लिए दूसरी टीमों पर निर्भर होना पड़े। इस सीजन में ना सिर्फ फॉर्मेट में बदलाव किया गया है जबकि टीम की संख्या में भी कमी की गई है। 2015 और 2011 वर्ल्ड कप में कुल 14 टीमों ने हिस्सा लिया था। ऐसा हालांकि पहली बार नहीं है कि इस तरह के फॉर्मेट में पहली बार विश्व कप खेला जा रहा हो। इससे पहले 1992 में भी इसी प्रारूप में विश्व कप खेला गया था और तब नौ टीमों ने हिस्सा लिया था।
ये हैं खिताब के प्रबल दावेदार
अगर खिताब के प्रबल दावेदारों की बात करें तो मेजबान देश के अलावा भारत का नाम सबसे ऊपर है। इसका कारण इन दोनों टीमों का हालिया फॉर्म है, लेकिन ऑस्ट्रेलिया ने 2019 में जिस तरह की फॉर्म दिखाई है, उससे वह भी रेस में है। वेस्ट इंडीज और बांग्लादेश की टीमें बीते 3 संस्करणों से छुपे रुस्तम की तरह विश्व कप में आती रही हैं, लेकिन इस साल इन दोनों के साथ अफगानिस्तान का नाम भी है। उसने अभ्यास मैच में पाकिस्तान को हरा इस बात के संकेत दे दिए हैं कि विश्व कप में उसे हल्के में लेना किसी भी टीम के लिए बड़ी गलती साबित हो सकता है।
साउथ अफ्रीका से भारत का पहला मैच

आस्ट्रेलिया जहां अपना खिताब बचाने उतरेगी तो वहीं इंग्लैंड की नजरें पहले विश्व कप खिताब पर होंगी। भारतीय टीम तीसरी बार विश्व कप जीतने का सपना लेकर इंग्लैंड पहुंची है। भारत को अपना पहला मैच 5 जून को साउथैम्पटन में साउथ अफ्रीका से खेलना है। न्यू जीलैंड और दक्षिण अफ्रीका भी कोशिश में होंगी कि वह अपना खाता खोलें।
चोकर्स का तमगा हटाने उतरेगा साउथ अफ्रीका
दक्षिण अफ्रीका को विश्व कप में चोकर्स के नाम से जाना जाता है। इसके पीछे उसका पुराना वर्ल्ड कप का ऐन मौके पर हार जाने का इतिहास है। फाफ डु प्लेसिस की कप्तानी वाली टीम इस बार इस तमगे को हटाना चाहेगी। पिछली बार की उप-विजेता न्यू जीलैंड भी मजबूत टीम मानी जा रही है। हालांकि खिताब जीतने के लिए उसे अपने मौजूदा प्रदर्शन से बेहतर करना होगा।
9 जुलाई से सेमीफाइनल
टूर्नमेंट के लीग दौर का समापन 6 जुलाई को होगा। 9 जुलाई से सेमीफाइनल मैच खेले जाएंगे। पहला सेमीफाइनल मैनचेस्टर और दूसरा सेमीफाइनल बर्मिंघम में खेला जाएगा। टूर्नमेंट का खिताबी मुकाबला 14 जुलाई को क्रिकेट का मक्का कहे जाने वाले लॉर्ड्स में खेला जाएगा।
11 मैदान पर खेले जाएंगे मैच
टूर्नमेंट के मैच कुल 11 मैदान पर खेले जाएंगे। इनमें ब्रिस्टल का काउंटी मैदान, लंदन का लॉर्ड्स, नॉटिंघम का ट्रैंटब्रिज मैदान, मैनचेस्टर का ओल्ड ट्रैफर्ड, टॉटन का काउंटी मैदान, लंदन का द ओवल, चेस्टर ली स्ट्रीट का रिवरसाइड मैदान, लीड्स का हेंडिग्ले, बर्मिंघम का एजबेस्टन, साउथैम्पटन का द रोज बाउल, कार्डिफ का सोफिया गार्डन्स शामिल हैं।