
लखनऊ। चिलचिलाती धूप के बीच लखनऊ संसदीय सीट का चुनावी मैदान तैयार है। हर जगह चुनाव की चर्चा है लेकिन एक ही सवाल राजनाथ सिंह के खिलाफ कौन? चाय से लेकर पान की दुकान भी इस चर्चा से बच नहीं पाई है तो सुबह टहलने के दौरान भी देश की राजनीति के साथ ही लखनऊ के चुनाव पर चर्चा होती है। भाजपा ने कई दिन पहले ही राजनाथ सिंह के नाम की घोषणा कर दी थी। वहीं कांग्रेस के अलावा सपा बसपा गठबंधन अभी तक कोई उम्मीदवार तय नहीं कर पाया है तो शिवपाल यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी भी उम्मीदवार खड़ा करने की तैयारी कर रही है।
पार्क रोड पर कांग्रेस के महानगर कार्यालय में शाम चार बजे के बाद ही कार्यकर्ताओं की भीड़ नजर आई। इससे पहले कार्यालय पर ताला लटकता है। चर्चा में छह नाम है। जिसमे लखनऊ के दो पूर्व विधायक भी शामिल है। एक पदाधिकारी का कहना था कि कोई नए नाम की चर्चा भी नहीं हो रही है।
कैसरबाग के सपा महानगर कार्यालय में भी गुरुवार को पोलिंग बूथों पर चर्चा हो रही थी। कैंट विधानसभा क्षेत्र में यह बैठक होनी थी। सपा बसपा गठबंधन में लखनऊ की सीट सपा के खाते में हैं लेकिन कार्यकर्ता भी हर दिन महानगर कार्यालय से आकर लौट जाते हैं। पंद्रह दिन पहले बसपा कार्यकर्ता आए थे और मीटिंग कर चले गए थे। दूसरी ओर,भाजपा कार्यकर्ता विभिन्न कार्यक्रमों के जरिए प्रचार में जुटे हैं। खुद राजनाथ सिंह टिकट मिलने के बाद दूसरी बार लखनऊ आ चुके हैं।
लखनऊ संसदीय सीट पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कारण वीआइपी हो गई थी। वर्ष 1991 में अटल बिहारी वाजपेयी ने लखनऊ सीट को भाजपा की झोली में डाला था उसके बाद कोई दल यहां टिक नहीं पाया। कांग्रेस व सपा ने तो उम्मीदवारों को आयात तक किया था, लेकिन उसका कोई लाभ नहीं हुआ था। फिल्म अभिनेता से लेकर फिल्मकार और कश्मीर के शाही परिवार से भी यहां चुनाव लड़ चुके हैं।