आर्थिक भगोड़ों के लिए बंद होंगे दुनिया के रास्ते, जी-20 घोषणा पत्र में भारत की मांग को मिली तरजीह

By | June 29, 2019

नई दिल्ली। एक देश में आर्थिक अपराध कर दूसरे देशों में पनाह लेने वाले अपराधियों के खिलाफ भारत की मुहिम को दुनिया के दिग्गज 20 देशों के समूह ने बेहद गंभीरता से लिया है। जापान के शहर ओसाका में दो दिनों की समूह-20 देशों के शीर्ष नेताओं की बैठक के बाद जारी घोषणा पत्र में कहा गया है कि गंभीर आर्थिक अपराध से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर जल्द ही एक प्रपत्र तैयार किया जाएगा जो इन अपराधियों की संपत्तियों को जब्त करने की राह खोलेगा।

यही नहीं समूह-20 देशों ने भ्रष्टाचार करने वालों को किसी भी दूसरे देश में पनाह नहीं देने और इनकी चोरी के धन को जब्त करने की रजामंदी दिखाई है। इसे भारत के रुख का एक बड़ा समर्थन माना जा रहा है क्योंकि शीर्ष बैठक में पीएम नरेंद्र मोदी ने आर्थिक भगोड़ों के खिलाफ त्वरित व ठोस कार्रवाई की मांग की थी।

पीएम मोदी के अलावा भारत के दूसरे प्रतिनिधि भी हाल के महीनों में आर्थिक अपराध कर दूसरे देशों में छिपने वाले अपराधियों के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय सहयोग की अपील कर रहे हैं। भारत का यह रुख हाल के वर्षो में विजय माल्या, नीरव मोदी, मेहुल चोकसी जैसे अपराधियों की वजह से बनी है। इन तीनों ने संयुक्त तौर पर भारतीय बैंकों को संयुक्त तौर पर तकरीबन 20 हजार करोड़ रुपये का चूना लगाया है।

माल्या व मोदी लंदन में और चोकसी एंटीगुआ में शरण लिये हुए हैं जिन्हें लाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। आर्थिक भगोड़ों के मुद्दे को भारत की तरफ से दी जा रहे प्राथमिकता के बारे में जी-20 देशों के लिए सरकार के विशेष प्रतिनिधि सुरेश प्रभु ने बताया कि हमने बहुत मजबूती से आर्थिक अपराधियों से निपटने के एजेंडे का प्रस्ताव कर रहे थे। हमारा मानना है कि एक देश में भारी गबन करके दूसरे देश में पैसा छिपाने वाले या शरण लेने वाले लोगों के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय समुदाय को एकजुट होना पड़ेगा।

माना जा रहा है कि जी-20 में इस तरह की सहमति बनने के बाद भारत के लिए माल्या या नीरव मोदी को स्वदेश लाना आसान हो जाएगा।

भारत के लिए यह भी एक तरह से कूटनीतिक उपलब्धि है कि समूह-20 की घोषणा पत्र में फाइनेंसिएल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) को और मजबूत बनाने का जबरदस्त समर्थन किया गया है। इसमें कहा गया है कि एफएटीएफ के तहत आतंकी फंडिंग या मनी लांड्रिंग या गलत तरीके जमा राशि की रोकथाम में लगे एजेंसियों के बीच ग्लोबल नेटवर्क बनाया जाना चाहिए। एफएटीएफ के तहत तय मानकों को तेजी से लागू करने की बात भी कही गई है।

सनद रहे कि एफएटीएफ की हाल ही में बैठक में पाकिस्तान को चेतावनी दी गई है कि वह आतंकी फंडिंग को रोकने के लिए अपने अंतरराष्ट्रीय वादे से मुकर रहा है। पाकिस्तान पर इसके तहत प्रतिबंध लगाने की भी आशंका जताई जा रही है।

जी-20 के 19 देशों ने पर्यावरण सुरक्षा को लेकर किये गये पेरिस समझौते के प्रति भी अपनी वचनबद्धता दिखाई है। सिर्फ अमेरिका ही इससे अलग रहा है। वैसे भारत डिजिटल इकोनोमी पर ओसाका घोषणा पत्र का हिस्सा नहीं बना है।

जापान व अमेरिका की अगुवाई में बनाये गये इस घोषणा पत्र का विरोध भारत समेत अन्य विकासशील देश कर रहे हैं। इनका कहना है कि यह उनकी संप्रभुता व कारोबारी हितों को प्रभावित करता है।

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