
भोपाल। चुनाव आयोग ने सरकार को झटका देते हुए नगरीय निकायों का परिसीमन करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है। सरकार ने तर्क दिया था कि नवंबर में निकाय चुनाव प्रस्तावित हैं।
छह माह पहले परिसीमन करना जरूरी होता है, इसलिए अनुमति दी जाए पर आयोग ने मतदान के बाद ही इस काम को करने का कहकर प्रस्ताव को अनुमति नहीं दी। वहीं, निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति का प्रस्ताव भी ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। हालांकि आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को दिए जाने वाले स्मार्ट फोन की खरीदी की प्रक्रिया करने की अनुमति इस शर्त के साथ दे दी कि खरीदी मतदान के बाद की जाएगी।
विभिन्न् विभागों ने मुख्य सचिव सुधिरंजन मोहंती की अध्यक्षता वाली स्क्रीनिंग कमेटी के माध्यम से आधा दर्जन से ज्यादा प्रस्ताव अनुमति के लिए चुनाव आयोग भेजे थे। इनमें से आयोग ने हाईकोर्ट जबलपुर के साथ इंदौर और ग्वालियर खंडपीठ में अधिवक्ताओं की पैनल गठित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी तो पूरक पोषण के काम में लगे आउटसोर्स के अमले का कार्यकाल जून तक बढ़ाने की इजाजत भी दे दी।
इनका कार्यकाल मार्च में समाप्त हो गया। इनके नहीं होने से कामकाज के प्रभावित होने की बात महिला एवं बाल विकास विभाग ने रखी थी। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय के अधिकारियों ने बताया कि आयोग ने राज्य सहकारी विपणन संघ की उपार्जन निविदा, निजी विवि विनियामक आयोग में अध्यक्ष की नियुक्ति और निकायों के परिसीमन के प्रस्तावों को अनुमति नहीं दी है। वन विभाग का लकड़ी कटाई का ठेका देने का प्रस्ताव भी लंबित है।