भोपाल : तय दुकानों से बुक्स मंगवाने के मामले की होगी जांच, दोषी पाए जाने पर होगी कार्रवाई

By | March 27, 2019

भोपाल। मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचअारडी) और सीबीएसई द्वारा निर्धारित की गई गाइडलाइन का स्कूलों में पालन नहीं हो रहा है। प्राइवेट स्कूलों में एनसीआरटी की दो-तीन किताबों के साथ-साथ रिफरेंस बुक के नाम पर प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबें चलाईं जा रहीं हैं, इससे बस्ते का बोझ बढ़ता जा रहा है। इसका फायदा स्कूल प्रबंधन, स्टेशनरी बेचने वालों को हो रहा है।

स्कूलों की जांच के लिए मंगलवार को संभागायुक्त कल्पना श्रीवास्तव ने जिला स्तरीय कमेटी बनाने के निर्देश संयुक्त संचालक लोक शिक्षा राजीव सिंह तोमर को दिए हैं। संभागायुक्त ने सभी सीबीएसई और प्राइवेट स्कूलों के प्राचार्यों को हिदायत दी है कि सीबीएसई के मान्यता प्रावधानों के तहत स्कूलों को कम्युनिटी सर्विस के रूप में संचालित होना चाहिए। रिफरेन्स बुक के नाम पर जबरन की किताबें, स्टेशनरी, यूनिफाॅर्म आदि विशेष दुकानों से न खरीदी जाए। स्कूलों में एक से 15 अप्रैल तक जांच की जाएगी। नियमों का पालन नहीं करने वाले स्कूल की मान्यता निरस्त करने का प्रस्ताव खामियों के साथ सीबीएसई को भेजा जाए।

विशेष दुकानों से खरीदी के लिए थमा देते हैं सूची : संभागायुक्त ने कहा कि स्कूलों द्वारा अभिभावकों को प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबों की खरीदी करने के लिए एक पर्ची थमा दी जा जाती है। ये किताबें एनसीआरटी की किताबों से कहीं ज्यादा महंगी होती हैं। इस तरह की शिकायतों की जांच के लिए यह कमेटी बनाई गई है। ताकि अभिभावकों को होने वाली परेशानी से निजात मिल सके।

स्कूल-कॉलेज बसों का नहीं बढ़ेगा किराया :  नए सत्र में अब स्कूल-कॉलेज बसों का किराया नहीं बढ़ेगा। इसके लिए शिक्षण संस्थाओं को नए नियम के तहत अनुबंध की जगह बसों को लीज पर लेना होगा। इससे पहले ऑडिट की आपत्ति के बाद परिवहन विभाग ने स्कूल और कॉलेज में अनुबंध और समिति के नाम पर चलने वाली बसों को रियायत से बाहर कर दिया था। ऐसे में बस अॉपरेटरों ने 600 रुपए तक प्रत्येक स्टूडेंट के बढ़ाए जाने की धमकी दी थी। इसका कारण यह था कि रियायत में उन्हें प्रत्येक सीट पर 1 रुपए टैक्स भरना पड़ता था।

हुआ था विरोध: नए निर्देश के बाद यह 180 रुपए से 600 रुपए तक टैक्स हो रहा था। इसके बाद से ही बस ऑपरेटरों और शिक्षण संस्थाओं ने नियमों का हवाला देते हुए विरोध शुरू कर दिया था। इसी को देखते हुए परिवहन विभाग ने अनुबंध की जगह लीज का नया नियम जोड़ दिया गया है। शिक्षण संस्थाओं को ऐसी बसों को लीज पर लेना होगा। इससे जहां स्कूल-कॉलेज की इसमें जिम्मेदारी तय होगी, वहीं स्टूडेंट पर अलग से बढ़ने वाला बोझ भी नहीं बढ़ेगा। इस संबंध में परिवहन आयुक्त डॉ. शैलेंद्र श्रीवास्तव ने आदेश भी जारी कर दिए हैं।

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