
नई दिल्ली। केंद्र सरकार और किसानों के बीच आज हुई बातचीत फिर बेनतीजा रही। सरकार कानून को वापस नहीं लेने पर कायम है। दोनों की सहमति के बाद इस मुद्दे पर अगली मीटिंग 19 जनवरी को होगी। केंद्र सरकार की तरफ से सितंबर महीने में लाए गए कृषि कानूनों (Agricultural laws) को लेकर बीते 51 दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं। सरकार और किसानों के बीच आज नौवें दौर की बातचीत (Talk between government and farmers) हुई जिसमें कोई हल नहीं निकल सका। दोनों पक्ष अपनी-अपनी बातों पर कायम रहे जिससे गतिरोध बना रहा. ये बातचीत किसान कानूनों पर रोक के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पहली बार हुई थी।
इससे पहले कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार किसानों के आंदोलन पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत करती है. सरकार सुप्रीम कोर्ट की तरफ से गठित कमेटी के सामने अपने विचारों को रखेगी. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हम बातचीत के जरिए मुद्दों के समाधान की कोशिश कर रहे हैं. आज हुई चार घंटे तक की बातचीत में लंच तक सरकार और किसानों की बातचीत में किसी मुद्दे पर सहमति नहीं बन सकी थी.
सरकार और किसानों की मीचिंग खत्म होने के बाद किसान नेता राकेश टिकैत का कहना था कि मीटिंग में किसान संगठनों ने सरकर से कहा कि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से गठित की गई कमेटी हमें स्वीकार नहीं है. उन्होंने बताया कि किसान संगठनों और सरकार ने तय किया है कि ये बातचीत जारी रहेगी. दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि बातचीत से ही इस मुद्दे का हल निकालेंगे।
खबर के मुताबिक, पंजाब के किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन के जनरल सेक्रेटरी हरेंद्र सिंह लाखोवाल ने कहा कि लंच से पहले आंदोलन से जुड़े किसानों पर पंजाब और हरियाणा में दर्ज मुकदमा और आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों की मदद करने वालों के पीछे जांच एजेंसियों को लगाए जाने के मसले पर भी बातचीत हुई.