
भोपाल. लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस सरकार दिन-रात एक कर कर्जमाफी के जरिए किसानों के वोट अपने पक्ष में करना चाहती है। दूसरी ओर अफसरशाही की लापरवाही के कारण धान किसानों में नाराजगी के हालत बन गए हैं। ये नाराजगी प्रदेश सरकार के लिए मुश्किल खड़ी कर सकती है। करीब साढ़े पांच लाख किसानों ने खरीफ की धान खरीदी के लिए पंजीयन कराया है, लेकिन ई-पोर्टल के चक्कर में ढाई लाख से ज्यादा किसानों का भुगतान नहीं हो पाया है। 35 हजार से ज्यादा किसानों के 305 करोड़ रुपए के भुगतान फेल हो गए हैं।
– ये है नाराजगी की वजह
प्रदेश में 5.62 लाख किसानों का पंजीयन हुआ है। इनमें से 3.13 लाख किसानों के स्वीकृत पत्र बने हैं। इनमें भी महज 2.65 लाख किसानों को भुगतान हो पाया है। जबकि, 35095 भुगतान फेल हो गए हैं। इस तरह 2.49 लाख से ज्यादा किसान अभी भुगतान के दायरे से बाहर हैं।
– 305 करोड़ रुपए गफलत में
ई-उपार्जन के जरिए 2531 करोड़ रुपए का भुगतान ई-फॉर्मेट में किया गया, लेकिन नए सॉफ्टवेयर की गफलत ऐसी रही कि 305 करोड़ रुपए उलझ गए। यानी इसका भुगतान कर दिया गया, लेकिन किसानों के खाते में नहीं पहुंची। बैंक का सॉफ्टवेयर इसे फेल ट्रांजेक्शन बता रहा है। दूसरी ओर 26 करोड़ रुपए डिजिटल हस्ताक्षर नहीं होने के कारण अटके हैं।
– ऐसे समझिए प्रक्रिया
सहकारी सोसाइटी के जरिए किसानों को भुगतान की व्यवस्था खाद्य विभाग की प्रमुख सचिव नीलम शमीराव ने बदल दी है। अब खरीदी के बाद पैसा सीधे किसान के खाते में जाता है, लेकिन इसके पहले एक और प्रक्रिया है। इसमें धान खरीदी के बाद वेयरहाउस जाता है। वहां तुलाई का टोकन होता है। फिर तुलाई व ट्रांसपोर्ट के बाद धान जमा होने की रसीद मिलती है। इसके डिजिटल सिग्नेचर होते हैं। इसके बाद किसान के खाते में पैसा दिया जाता है।
– जन-धन खाते का अजब पेंच
कई किसानों ने भुगतान के लिए जन-धन खाते का नंबर दिया है। जबकि, जन-धन खाते में एक बार में अधिकतम 50 हजार रुपए ट्रांसफर किए जा सकते हैं। यदि किसी किसान का खरीदी का दो लाख रुपए भुगतान होना है, तो 50 हजार ट्रांसफर हो जाते हैं, लेकिन बाकी 1.50 लाख रुपए के तीन ट्रांजेक्शन फेल हो जाते हंै। इससे भी दिक्कत हो रही है।
– कैसे पूरा होगा मिशन लोकसभा
प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में से कांग्रेस के पास महज तीन हैं। कांग्रेस को इस बार 20 सीट मिलने की उम्मीद है, इसलिए किसानों पर फोकस कर रही है। प्रदेश में करीब 80 लाख छोटे-बड़े किसान हैं, लेकिन धान खरीदी के ई-पोर्टल ने भुगतान को उलझा दिया है।
– किसानों का गणित
5,62,841 का हुआ पंजीयन
3,13,020 को हुआ ई-भुगतान
2,65,958 का भुगतान सफल
35,095 का भुगतान फेल
2,49,821 धान खरीदी भुगतान से दूर
– पैसे का ऐसा हिसाब
2531 करोड़ का होना था ई-भुगतान
2502 करोड़ डिजिटल हस्ताक्षर से जारी
2131 करोड़ किसानों तक पहुंच पाए
305 करोड़ का ई-भुगतान फेल
66 करोड़ बैंकों के स्तर पर लैप्स
17.27 करोड़ बैंकस्तर पर अटके
26 करोड़ डिजिटल हस्ताक्षर के लिए अटके
(राशि रुपए में।)
– प्रदेश एक नजर
1010 खरीदी केंद्र
818 सहकारी संस्थाएं
989 ई-भुगतान खरीदी केंद्र
किसानों को बैंक खाते में भुगतान किया जाता है। कहां परेशानी आ रही है, इसका पता कराते हैं।
– सचिन यादव, मंत्री, कृषि विभाग