
लोकसभा और विधानसभा चुनाव में चुनावी हलफनामा दायर करने वाले उम्मीदवार अब सावधान हो जाएं. चुनाव आयोग और केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के एक फैसले से चुनावी उम्मीदवारों को अब सावधान रहने की जरूरत है. चुनावी उम्मीदवारों के आयकर रिटर्न और चुनावी हलफनामे में दी गई जानकारी में अगर फर्क हुआ तो ऐसे लोगों पर आयकर कानून 1961, बेनामी प्रॉपर्टी ट्रांजेक्शन कानून 1988 और 2015 के कालेधन से जुड़े कानून के तहत कार्रवाई हो सकती है. यानी किसी उम्मीदवार ने अगर चुनावी हलफलनामे में जानबूझकर या गलती से अपनी संपत्ति और आयकर की जानकारी गलत दी तो इन तीनों में से कोई भी कानून उन पर लागू हो सकता है.
चुनाव आयोग और सीबीडीटी के अधिकारियों के बीच कई दौर की बातचीत के बाद फैसला हुआ है कि ऐसे उम्मीदवारों के चुनावी हलफनामे और आयकर में फर्क की जानकारी अब आम लोगों के बीच भी रखी जाएगी. इस मसले पर गौर करने वाली बात है कि चुनाव आयोग और सीबीडीटी की सहमति से पहले सीबीडीटी ने चुनाव आयोग से कहा था कि आयकर कानून की धारा 138 के तहत सत्यापन रिपोर्ट यानी Verification report से जुड़ी जानकारी आम लोगों से साझा नहीं की जा सकती. इस मसले पर चुनाव आयोग का तर्क था कि सत्यापन रिपोर्ट जांच रिपोर्ट नहीं होती और आरटीआई के तहत इस रिपोर्ट को साझा किया जा सकता है.
आखिरकार लंबे दौर की बातचीत के बाद लोकहित में उम्मीदवारों की सत्यापन रिपोर्ट जारी करने पर सीबीडीटी भी तैयार हुआ. चुनाव आयोग को भेजे एक पत्र में सीबीडीटी ने कहा है कि 2018 के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की है कि नागरिकों को अपने उम्मीदवारों की आय के बारे में जानकारी प्राप्त करने का अधिकार है.
का नाम, नंबर और राज्य, आयकर विभाग के महानिदेशक (इनवेस्टिगेशन) के क्षेत्र का जिक्र होगा. इसी प्रोफोर्मा में जांच अधिकारी से दो विकल्प पूछे गए हैं –
पहला, क्या किसी तरह का फर्क नहीं पाया गया चुनावी हलफनामे और आयकर रिटर्न में
दूसरा, आगे जांच की अनुशंसा का प्रस्ताव
अगर जांच अधिकारी ने जांच की अनुशंसा की तो उम्मीदवार के खिलाफ आयकर कानून 1961, बेनामी प्रॉपर्टी ट्रांजैक्शन कानून 1988 और 2015 के कालेधन से जुड़े कानून के तहत कार्रवाई हो सकती है. इसके अलावा जांच अधिकारी से ये भी पूछा जाएगा कि क्या चुनावी हलफनामे की तुलना में आयकर रिटर्न में उम्मीदवार की संपत्ति अधिक पाई गई है.
चुनाव आयोग और सीबीडीटी के फैसले से कई बदलाव आएंगे. एक तो चुनावी उम्मीदवार के आय से जुड़ी जानकारी में पारदर्शिता आएगी, दूसरी अगर जानकारी गलत दी गई है तो उम्मीदवार जांच के दायरे में आएंगे. सबसे बड़ी बात है की अब आम लोगों को भी अनियमितता की जानकारी होगी, जिसके आधार पर वे ऐसे उम्मीदवार के खिलाफ कानूनी रास्ता अपना सकेंगे.
इसी से जुड़ी एक और महत्वपूर्ण जानकारी दे दें समाचार भारती के पास जो दस्तावेज हैं उससे यह भी पता चलता है कि सत्यापन रिपोर्ट के 100 से अधिक ऐसे मामले हैं जिसमें अनियमितता पाई गई है. हालांकि नये फ़ॉर्मेट में सत्यापन रिपोर्ट भेजने की शुरुआत पिछ्ले साल के अंत में संपन्न 5 राज्यों के चुनाव से होने की संभावना है.
एक और खास बात यह है कि चुनाव आयोग और सीबीडीटी के बीच 2013 के जून महीने की 3 और 19 तारीख को दो बैठकों के बाद तय हुआ था कि 5 कैटेगरी के तहत उम्मीदवारों के हलफनामे का सत्यापन होगा.
ये पांच श्रेणियां हैं –
पहली कैटेगरी – चुनाव आयोग की तरफ से सीबीडीटी को भेजे गए विशेष मामले. चुनाव आयोग इसके तहत ऐसे मामलों को भेजता है जिन उम्मीदवारों के चुनावी हलफनामे में दी गई आय और संपत्ति की जानकारी अप्रत्याशित होती है.
दूसरी कैटेगरी – इस कैटेगरी में वैसे उम्मीदवार आते हैं जिनके दो चुनावी हलफनामे के बीच आय और संपत्ति में बड़ा अंतर और ग्रोथ देखा जाता है.
तीसरी कैटेगरी – इस कैटेगरी में विजयी उम्मीदवार की चुनावी हलफनामे और आयकर रिटर्न में अंतर को देखा जाता है.
चौथी कैटेगरी – इस कैटेगरी में वैसे मामले आते हैं जिसमें उम्मीदवार ने अपने पैन कार्ड की जानकारी नहीं दी है, लेकिन चल-अचल संपत्ति की जानकारी 5 करोड़ से अधिक की दी गई है.
पांचवीं कैटेगरी – वैसे मामले जहां उम्मीदवार ने पिछले चुनावी हलफनामे की तुलना में 2 करोड़ से अधिक की नई अचल संपत्ति की जानकारी दी है.