
भोपाल। चार दिन बाद विधानसभा में वित्त मंत्री तरुण भनोत द्वारा पेश किए जाने वाले कमलनाथ सरकार के पहले बजट के लिए केंद्र सरकार ने चुनौती खड़ी कर दी है। केंद्र ने करों से मिलने वाले राज्य के हिस्से में 2 हजार 677 करोड़ रुपए की कटौती कर दी है। इससे आय-व्यय का अनुमान ही गड़बड़ा गया है। जबकि, इसके आधार पर बजट तैयार हो चुका है। कैबिनेट का अनुमोदन लेकर वित्त विभाग इसे छपाई (प्रिंटिंग) के लिए भी भेज चुका है। इसका सिर्फ वही हिस्सा बाकी है, जो कराधान से जुड़ा है। ऐसे में इस कटौती की पूर्ति करना सरकार के लिए बेहद मुश्किल काम है क्योंकि सरकार आम जनता पर ऐसे किसी नए कर का बोझ नहीं लादना चाहती है जो उसे सीधे-सीधे प्रभावित करे।
सूत्रों का कहना है कि केंद्र सरकार ने लेखानुदान में जो राशि राज्य को देना तय किया था, उसके हिसाब से वित्त विभाग ने बजट को अंतिम रूप दिया है। इसके लिए विभागीय अफसरों के साथ वित्त विभाग के अपर मुख्य सचिव अनुराग जैन और प्रमुख सचिव मनोज गोविल ने बैठक की।
मुख्य सचिव सुधिरंजन मोहंती के साथ भी बैठकों का एक दौर चला। वित्त मंत्री और फिर मुख्यमंत्री कमलनाथ के स्तर पर चर्चा हुई। इसके बाद बजट को अंतिम रूप देकर कैबिनेट की मंजूरी से छपाई के लिए भेजा जा चुका है। यदि किसी विभाग के बजट में कटौती करके केंद्र सरकार द्वारा दिए गए झटके की पूर्ति करनी है तो वो अब आसान नहीं है क्योंकि सरकार पहले ही कर्जमाफी सहित अन्य खर्चों की पूर्ति के लिए काफी सख्ती कर चुकी है।
आय बढ़ाने और खर्च को नियंत्रित करने के लिए आबकारी, रेत, मोटरयान कराधान सहित अन्य तरीकों को अपनाया गया है तो कुछ योजनाओं को बंद किया जा रहा है तो कुछ को आपस में मिलने की रणनीति बनाई है। माना जा रहा है कि सरकार के पास कुछ नए कर लगाने के अलावा विकल्प बेहद सीमित हैं। जीएसटी आने के बाद नया कर लगाने का दायरा भी सीमित हो गया है।
मुख्यमंत्री के प्रबंधन पर भरोसा
सूत्रों का कहना है कि केंद्र सरकार के इस झटके से प्रदेश को उबारने के लिए वित्त विभाग की आस मुख्यमंत्री कमलनाथ से है। दरअसल, वे लंबे समय तक केंद्र सरकार में रहे हैं और उन्होंने हर तरह की परिस्थितियों का सामना भी किया है। ऐसे में उम्मीद भी उन्हीं के प्रबंधन से है कि वे ऐसा कोई रास्ता निकालें, जिससे सांप भी मर जाए औेर लाठी भी न टूटे।