
देश में लोकसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है. अब भाजपा- कांग्रेस सहित सभी पार्टियों में दावेदार घोषित करने की होड़ मची हुई है. मध्यप्रदेश में भाजपा ने जिन लोगों को टिकट बांटने की जिम्मेदारी सौंपी थीं, अब वही लोग टिकट के दावेदार बन गए हैं. प्रदेश में चुनाव समिति के पचास फीसदी सदस्यों ने टिकट के लिए अपना नाम भी दे दिया है. बीजेपी में टिकट वितरण से पहले घमासान तेज हो गया है.
मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव में बीजेपी से टिकट बांटने की जिम्मेदारी प्रदेश भाजपा चुनाव समिति की है. नाम, पैनल भी इसी समिति को केंद्रीय चुनाव समिति को भेजना है. जिस समिति पर इतनी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है, उसके मौजूदा 15 सदस्यों में आधे टिकट के दावेदार बन गए हैं. राष्ट्रीय नेतृत्व चुनाव समिति के भेजे गए दावेदारों के पैनल पर आखिरी फैसला लेगी.
प्रदेश चुनाव समिति के सात सदस्यों ने खुद चुनाव मैदान में ताल ठोंक दी है. चुनाव समिति में शामिल सदस्यों में प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह, जबलपुर, नंदकुमार सिंह चौहान, खंडवा, नरेंद्र सिंह तोमर, ग्वालियर और फग्गन सिंह कुलस्ते शहडोल के टिकट के दावेदार है. इसके अलावा विदिशा से शिवराज सिंह चौहान, गुना से प्रभात झा और कृष्ण मुरारी मोघे के चुनाव लड़ने की चर्चा भी तेज है. कैलाश जोशी, सुहास भगत, सत्यनारायण जटिया, थावरचंद गहलोत, विक्रम वर्मा, राजेंद्र शुक्ला, भूपेंद्र सिंह, माया सिंह और लता एलकर भी चुनाव समिति के सदस्य हैं.
इस मामले में भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल का कहना है कि पार्टी में केंद्रीय चुनाव समिति ही टिकट फाइनल करती है, यदि सदस्य दावेदारी करते हैं तो उस सीट को लेकर तराच और नामों को पैनल को साझा नहीं किया जाता है. वहीं कांग्रेस ने तंज कसते हुए कहा कि भाजपा में जो लोग टिकट देने वाले हैं वहीं अगर चुनाव लड़ रहे हैं तो भाजपा की हार संभव है.
बीजेपी में टिकट को लेकर घमासान तेज हो गया है. पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व मंत्री के साथ दिग्गज नेताओं को लेकर विधानसभा चुनाव में हारे हुए उम्मीदवारों ने टिकट के लिए ताल ठोंकी है. प्रदेश चुनाव समिति टिकट को लेकर माथापच्ची कर रही है. अब दावेदारों के भाग्य का अंतिम फैसला केंद्रीय चुनाव समिति को ही करना है.