
(ब्यूरो रिपोर्ट समाचार भारती)
जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के प्रमुख यासीन मलिक पर 25 जनवरी, 1990 को श्रीनगर में भारतीय वायुसेना के चार कर्मियों की हत्या के आरोप में एक चश्मदीद गवाह ने गवाही दी है। गवाह ने कहा कि उसने मलिक को हमले में मुख्य हमलावर के रूप में पहचाना है। गवाह राजवार उमेश्वर सिंह वायुसेना में एक पूर्व कर्मचारी हैं। वह हमले के दौरान मौजूद थे और वे घायल हो गए थे। उन्होंने अदालत को बताया कि मलिक ने हमले के दौरान फेरन पहना हुआ था और उसने एक AK-47 राइफल से गोलियां चलाई थीं। मलिक इस समय तिहाड़ जेल में बंद हैं। उन्हें 2019 में आतंकवाद और देशद्रोह के आरोपों में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी।
मलिक पर वायुसेना कर्मियों की हत्या के आरोप में 1990 में ही टाडा अदालत में आरोपपत्र दायर किया गया था। हालांकि, मामला लंबे समय तक अटका रहा। 2022 में, मामले को सीबीआई को सौंप दिया गया था। गवाह की गवाही के बाद, सीबीआई ने कहा कि यह मामले में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है। अभियोजन पक्ष का मानना है कि गवाह की गवाही मलिक की दोषसिद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। मलिक ने गवाह की गवाही का खंडन किया है। उन्होंने कहा है कि गवाह झूठ बोल रहा है और उसे पैसे दिए गए हैं।