
(ब्यूरो रिपोर्ट समाचार भारती)
वर्षा वर्मा कहती है बेहद पीड़ा दाई रहा कल का दिन , यू तो हर दिन ऐसे ही कामों को अंजाम देना होता है, परंतु कुछ कहानियां घर कर जाती है। निकले थे घर से एक महिला का रिस्क करने के लिए चारबाग स्टेशन पर परंतु जब इस पल के पास पहुंचे तो अपने आप हाथ थम गए तस्वीर में दिख रहे बुजुर्ग चादर से ढके हुए थे मुझे लगा इस चादर के अंदर कुछ है , हमारे साथी ने कहा मत छुओ किसी का कोई सामान रखा होगा। मन नहीं माना और जब चादर हटा कर देखा तो एक बुजुर्ग जिनका शरीर बर्फ जैसा ठंडा था और सर्दी की वजह से अकड़ गया था सर्दी से बचने के लिए उन्होंने अपने आप को तस्वीर में दिख रहे पोस्चर में मोड़ा होगा और उसके बाद वह वापस उठ ही नहीं पाए। इतनी दयनीय स्थिति , इतनी पीड़ा , इतना दुख , इतना दर्द , इतनी बेबसी ,ऐसी किस्मत ,ऐसा जीवन ! क्या उनके परिवार में कोई नहीं रहा होगा ? क्या आखिरी समय इन्होंने अपनी ठंड लगने वाली बात आसपास किसी को बताई होगी ? हजारों लोग जो रातों में कंबल बांटते हैं क्या इन तक कोई नहीं पहुंचा होगा ? ज़हन में हजारों सवाल लिए जो बीड़ा समाज के लिए उठाया है खुद को मजबूत करते हुए उसे पूरा ही करना था। ऐसा नहीं है कि आप मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है । यह मेरे लिए रोज का काम है तो मुझे तकलीफ नहीं होती ऐसे मंजर से । ऐसा नहीं है कि ऐसे केस को हैंडल करने के बाद चैन की नींद आ जाती है ।सारी रात आपका दिमाग चलता रहता है इतनी पीड़ा और लोगों का असहनीय दर्द देखकर मुझे भी दर्द होता है। और शायद इसीलिए इतनी रूकावटों के बाद भी इन सेवाओं के अलावा कहीं मन नहीं लगता।तकलीफ और ज्यादा तब बढ़ जाती है जब बड़े-बड़े पदों पर बैठे कर्मचारी अपनी जिम्मेदारियां का निर्वहन जिम्मेदारी से नहीं करते हैं।
मुझे इस केस को हैंडल करने में बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ा दोपहर 12:00 बजे से शाम के 4:00 बज गए थे। छींके आ गई थी रेलवे पुलिस के सहयोग और रेलवे डॉक्टर जिनको मृत घोषित करना था इन बुजुर्गों को निपटने में , इस पूरे प्रोसेस ने 12 से 4 बजा दिए। और आने के बाद भी इतना ढीला – ढाला रवैया DM OFFICE तक से फोन लगवाना पड़ा, सोशल मीडिया से मदद मांगी पड़ी। लेकिन अपनी भी जिंद थी कि पूरा कैसे हैंडल किए बिना कहीं नहीं जाएंगे। जिन बुजुर्ग बाबा को मृत्यु ऐसी मिली कम से कम उनका अंतिम संस्कार तो आत्म सम्मान के साथ हो। आधार कार्ड ढूंढने के लिए ताकि बुजुर्ग बाबा की पहचान हो जाए बैग को खंगाला गया तो उसमें ढेर सारा पैसा मिला जो अलग-अलग पनियों में बंधा हुआ था जिसे रेलवे पुलिस को सौंप दिया गया आधार कार्ड नहीं मिला । इसलिए बाबा की पहचान नहीं हो पाई अब बाबा को पोस्टमार्टम के बाद 72 घंटे मोर्चरी में रखकर नोटिस चस्पा किया जाएगा उसके बाद बाबा का सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कराया जाएगा।
* प्रभु से प्रार्थना है कि कोई भी व्यक्ति ठंड से अपने प्राणों को ना त्यागे कम से कम इतनी कृपा अपनी को बनाए रखें।
* जो लोग रातों में कंबल बांटने निकलते हैं इस बात का खास ख्याल रखें की जरूरतमंद कोई भी ना छूटे पाए और भगवान ना करें दूसरा बुजुर्ग ठंड से प्राण त्यागे।