
(ब्यूरो रिपोर्ट समाचार भारती)
केंद्रीय IT मंत्रालय ने डीपफेक को रोकने के लिए नए नियम तैयार किए हैं। इन नियमों के तहत, जो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म डीपफेक कंटेंट को हटाने में विफल रहता है, उसके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। इन नियमों में निम्नलिखित प्रावधान शामिल हैं।
- सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म डीपफेक कंटेंट को AI के जरिए फिल्टर करने का काम करेंगे।
- डीपफेक कंटेंट डालने वालों पर IPC की धाराओं और IT एक्ट के तहत केस दर्ज होंगे।
- डीप फेक कंटेंट मिलते ही कोई भी FIR करा सकता है।
- सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म यूजर्स से यह शपथ लेगा कि वह डीपफेक कंटेंट नहीं डालेगा।
- डीप फेक कंटेंट को 24 घंटे में हटाना होगा।
- जिस यूजर ने कंटेंट अपलोड किया है, उसका अकाउंट बंद कर सूचना दूसरे प्लेटफार्म का देनी होगी।
नए नियमों के प्रभाव:
इन नए नियमों से डीपफेक कंटेंट को रोकने में मदद मिल सकती है। हालांकि, यह भी ध्यान रखना होगा कि डीपफेक तकनीक लगातार विकसित हो रही है। ऐसे में भविष्य में नए नियमों में भी संशोधन की आवश्यकता हो सकती है।
डीपफेक क्या है?
डीपफेक एक प्रकार का फर्जी वीडियो या ऑडियो है जिसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का उपयोग करके बनाया जाता है। डीपफेक वीडियो में किसी व्यक्ति की छवि या आवाज को किसी अन्य व्यक्ति की छवि या आवाज के साथ बदल दिया जाता है। डीपफेक का उपयोग अक्सर राजनीतिक प्रचार, बदनाम करने या मनोरंजन के लिए किया जाता है।
डीपफेक के कई खतरे हैं। इनमें शामिल हैं-
- राजनीतिक प्रचार: डीपफेक का उपयोग किसी राजनीतिक उम्मीदवार या पार्टी को बदनाम करने या उनके खिलाफ गलत जानकारी फैलाने के लिए किया जा सकता है।
- बदनामी: डीपफेक का उपयोग किसी व्यक्ति की छवि को नुकसान पहुंचाने या उन्हें बदनाम करने के लिए किया जा सकता है।
- मनोरंजन: डीपफेक का उपयोग मनोरंजन के लिए भी किया जा सकता है, जैसे कि किसी फिल्म या टीवी शो में किसी प्रसिद्ध व्यक्ति को दिखाना।
डीपफेक से बचने के लिए निम्नलिखित तरीके अपनाए जा सकते हैं-
- वीडियो या ऑडियो की सटीकता की जांच करें।
- वीडियो या ऑडियो में उपयोग की गई तकनीक की जांच करें।
- वीडियो या ऑडियो के स्रोत की जांच करें।
यदि आप किसी डीपफेक वीडियो या ऑडियो के बारे में जानते हैं, तो कृपया इसे रिपोर्ट करें।