
ब्यूरो रिपोर्ट समाचार भारती-
लखनऊ- पीएम मोदी ने कहा कि राम मंदिर पर अदालत का इंतजार करें. संघ ने मोदी के बयान का स्वागत किया लेकिन विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) ने फौरन अध्यादेश लाकर मंदिर बनाने की मांग कर दी. सियासत के जानकार कहते हैं कि बीजेपी को पता है कि उसके कई सहयोगी मंदिर पर अध्यादेश के खिलाफ हैं. इसलिए वे अध्यादेश समर्थकों और अध्यादेश विरोधियों, दोनों को खुश रखने के लिए दोनों तरह की बातें कर रहे हैं.
पीएम मोदी के ताजा इंटरव्यू ने साफ कर दिया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले अयोध्या में मंदिर के लिए सरकार अध्यादेश नहीं लाएगी.
उधर आरएसएस, वीएचपी ने फौरन अध्यादेश लाकर राम मंदिर बनाने के लिए आंदोलन छेड़ रखा है. वे इस पर धर्म सभाएं कर रहे हैं. नागपुर में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भी यही मांग की है. आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने 25 नवंबर 2018 को कहा था कि “एक साल पहले मैंने कहा था कि धैर्य रखें. अब मैं कहता हूं कि धैर्य से काम नहीं चलेगा. लोगों को एकजुट करने की जरूरत है. कानून जल्द से जल्द लाया जाना चाहिए.”
हालांकि अब उन्हीं मोहन भागवत की आरएसएस ने फौरन ट्वीट करके मोदी के बयान की हिमायत कर दी. उनके बयान को मंदिर निर्माण के लिए पॉज़िटिव बताया.
वरिष्ठ पत्रकार बृजेश शुक्ला का कहना है कि “उनके काई सहयोगी दल नहीं चाहते कि मंदिर निर्माण के लिए अध्यादेश आए. दूसरी तरफ बीजेपी नेता यह भी जानते हैं कि मंदिर का जो समर्थक वोट है वह कहीं नहीं जाने वाला. इसलिए बहुत जानबूझकर, बहुत सोची समझी रणनीति के तहत यह बयान दिया गया है.”
सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के वकील जफरयाब जिलानी भी इसे एक सोची समझी रणनीति बताते हैं. उन्होंने कहा कि “उन्होंने बहुत टेक्टफुली अपने को अगले इलेक्शन में इस सवाल से बचा लिया. यह तो पूरा पॉलिटिकल है. उनका असेसमेंट होता है ग्राउंड लेवल से. उन्होंने सारा सब कुछ क्लियर करने के बाद ही यह फैसला किया.”
लेकिन आरएसएस की सियासी शतरंज की बिसात पर वीएचपी भी है. कहते हैं कि फौरन मंदिर की मांग करने वालों को दिलासा देने के लिए उनसे अध्यादेश लाने का बयान दिलवा दिया गया. वीएचपी के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि “प्रधानमंत्री और उनके सहयोगियों से कहेंगे कि कोर्ट का इंतजार न करें. संसद के द्वारा अध्यादेश लाकर के राम मंदिर बने.”