
ब्यूरो रिपोर्ट समाचार भारती-
भोपाल- कांग्रेस के मंत्री जीतू पटवारी एक ओर जहां हाल ही में कमलनाथ के मंत्रीमण्डल में मंत्री बने हैं। जीतू पटवारी शायद सरकार में अपने नंबर बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री कमलनाथ से जनसम्पर्क विभाग लेने पर अड़े है क्यूंकि जीतू ने भले ही पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में जनसम्पर्क द्वारा जारी विज्ञापनों को लेकर भले ही हंगामा खड़ा किया हो और आज भी उनकी जनसम्पर्क विभाग का मंत्री बनने पर अड़े हुए हैं। भले ही उन्होंने शिवराज सिंह के कार्यकाल के दौरान जनसम्पर्क द्वारा जारी किये गये विज्ञापनों को लेकर वह संदेह पैदा कर रहे हों। लेकिन सवाल यह उठता है कि उन्हीं जीतू पटवारी जो कि कमलनाथ के साथ-साथ चार जिन अध्यक्षों की कांग्रेस पार्टी ने बनाया था उनमें से एक जीतू पटवारी हैं। हाल ही में सम्पन्न हुए विधानसभा चुनाव के दौरान उनकी ही पार्टी के द्वारा जारी विज्ञापनों को लेकर चुनाव के दौरान 20 हजार करोड़ का घोटाला होने की खबरें सुर्खियों में रहीं।
जीतू पटवारी विधानसभा चुनाव के दौरान हुए कांग्रेस पार्टी के कर्ताधर्ताओं द्वारा 20 हजार करोड़ के हुए विज्ञापनों की जांच कराने में रुचि क्यों नहीं ले रहे हैं, इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस में तरह-तरह की चर्चाओं का दौर जारी है तो वहीं कांग्रेस से जुड़े लोग यह भी कहते नजर आ रहे हैं कि यह विज्ञापन घोटाला भी उन्हीं पार्टी के कथित राष्ट्रीय नेता से जुड़े एक प्रवक्ता द्वारा किया गया जिनके नेतृत्व में 2008 का विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के पक्ष में माहौल होने के बावजूद भी टिकट वितरण में पैसे के लेनदेन का खूब दौर चला, तो वहीं 2004 में भी कांग्रेस के विज्ञापन जारी करने में भी घोटाले का खुलासा हुआ था और इसकी पार्टी के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा ने जांच भी कराई थी।
मोतीलाल वोरा के द्वारा जांच कराने के बाद उस समय का विज्ञापन घोटाला सामने आया था। सवाल यह उठता है कि जनसम्पर्क विभाग में शिवराज सिंह के कार्यकाल के दौरान जारी विज्ञापनों को लेकर तो जीतू पटवारी तमाम हंगामा खड़ा करते आ रहे हैं और यही वजह है कि उनकी रुचि जनसम्पर्क विभाग लेेने मेें कुछ ज्यादा ही है इसके पीछे क्या खेल यह वही जाने लेकिन विधानसभा चुनाव के दौरान हुए पार्टी के विज्ञापन जारी करने के नाम पर 20 हजार करोड़ के घोटाले की जांच कराने में वह रुचि क्यों नहीं ले रहे हैं जबकि वह पार्टी में जिम्मेदार पद पर थे।
पार्टी में यह चर्चा भी जोरों पर है कि यदि वह पार्टी के तथाकथित राष्ट्रीय नेता का भ्रम पाले जो कभी पार्षद तक का चुनाव जीत सके और न ही उक्त नेता के समर्थक ने यह विज्ञापन घोटाले को अंजाम दिया वह भी अपने राष्ट्रीय नेता की तरह आज तक कोई भी पार्षद का चुनाव नहीं जीता लेकिन वह भी अपने आपको राष्ट्रीय नेता होने का भ्रम पाले हुए हैं। कम से कम उक्त नेता पर कोई कार्यवाही नहीं करें लेकिन उन्हें जिम्मेदारी वाले पद से तो हटा दें जिससे आगे कमलनाथ की सरकार के दौरान अपने पद का लाभ उठाते हुए इस तरह के घोटालों को वह अंजाम न देकर कांग्रेस पार्टी को बदनाम न कर सकें ? अगर जीतू पटवारी की सोच यही है तो वो कमलनाथ सरकार के लिए बड़ी मुसीबत बन सकती है।