
ब्यूरो रिपोर्ट समाचार भारती-
इंदौर – ‘लगता तो है कि कांग्रेस ही जीत रही है मैडम……’ यह पहला रिएक्शन मिला मध्य प्रदेश के इंदौर से। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के काम की बात करने पर इसी शख्स ने कहा कि मोदी का विकास कौन देख रहा है। 18 साल के किशन ने कहा कि इस बार बदलाव हो सकता है, लेकिन वह चाहता है कि बीजेपी की सरकार बने।
किशन पहली बार वोट देगा। यह पूछने पर कि क्या लोग शिवराज से नाराज हैं? उसने कहा- नहीं, लेकिन विधायकों में घमंड आ गया है लोगों की सुनते ही नहीं। किशन की बात ही इंदौर के मूड को बयां करती है। यहां न तो राफेल पर कोई बात कर रहा है न ही व्यापमं की। भले ही कांग्रेस इसी को मुद्दा बना रही है, लेकिन लोगों से बात करने से साफ लग रहा है कि यहां लोग कांग्रेस को चुनने या न चुनने की बात नहीं कर रहे हैं, बल्कि मुकाबला बीजेपी का बीजेपी से ही है।
मुकाबला है शिवराज सरकार की वेलफेयर स्कीम (जन कल्याण की योजनाओं) और 15 साल की एंटी इनकंबेंसी (विरोधी लहर) के बीच। बीजेपी फिर से लानी है या फिर बीजेपी जाएगी, बस इसी के इर्द-गिर्द चुनाव घूम रहा है।
सबकुछ ठीक है, पर जनता को चाहिए कुछ नया
एक बिजनेसमैन कहते हैं कि पैदा होने से मरने तक का सारा खर्चा तो दे रही है सरकार, लेकिन हर किसी को नयापन चाहिए होता है। दरअसल, वह शिवराज सरकार की जन कल्याण की योजनाओं पर बात कर रहे थे। राज्य में करीब 188 ऐसी योजनाएं चल रही हैं। इंदौर जिले में 9 विधानसभा सीटें हैं जिनमें से अभी 8 पर बीजेपी का कब्जा है। लोगों को कहना है कि इस बार फैसला कुछ हजार वोटों के अंतर से ही हो जाएगा।
शहर के एक चौक से…
एक चौक पर चर्चा में लोग बीजेपी के इस बार सत्ता से बाहर जाने की बात करने लगे तो बीजेपी के समर्थन में भी बोलने वाले कूद पड़े। हालांकि, उनकी अपनी नाराजगी भी साफ जाहिर हो रही थी। ‘लोकल नेताओं में घमंड आ गया है। कार्यकर्ताओं की ही नहीं सुनेंगे तो आम लोगों को क्या पूछेंगे, हमें अपने काम के लिए भी गिड़गिड़ाना पड़ता है।’ ये कहते हुए ईश्वर पुरी ने ऐलान किया कि मैं तो इस बार वोट ही देने नहीं जाऊंगा। कांग्रेस को दूंगा नहीं बीजेपी को देने का मन नहीं है।
बीजेपी के सामने यह भी एक चुनौती है कि वह अपने इस तरह के समर्थकों को किस तरह पोलिंग बूथ तक पहुंचाए। शिवराज से नाराजगी न होते हुए भी लोकल नेताओं को सबक सिखाने के लिए अगर बीजेपी के समर्थक वोटिंग करने नहीं पहुंचे तो यह कांग्रेस के पक्ष में हो सकता है। दिलचस्प बात यह भी है कि लोग शिवराज की बजाय पीएम मोदी को लेकर नाराजगी जाहिर कर रहे हैं।
बीजेपी के लिए कुछ पॉजिटिव संकेत भी
शिवराज से नाराजगी नहीं होना बीजेपी के लिए कुछ पॉजिटिव संकेत है। नोटबंदी और जीएसटी की यहां लगभग हर कोई बात कर रहा है अपनी दिक्कतों का जिक्र कर रहा है। बीजेपी के एक समर्थक ने कहा कि- दस सब्जी बनती है तो एक सब्जी खराब भी हो ही सकती है, लेकिन मंशा तो अच्छी ही थी। यह कहते हुए भले ही वह नोटबंदी का बचाव कर रहे थे लेकिन साथ ही इससे हुई दिक्कतों को नकार नहीं रहे हैं। पेट्रोल- डीजल की कीमतों को लेकर भी नाराजगी जाहिर करने वाले खूब मिले। इंदौर जिले में 9 विधानसभा सीटें हैं जिनमें से अभी 8 पर बीजेपी का कब्जा है। लोगों को कहना है कि इस बार फैसला कुछ हजार वोटों के अंतर से ही हो जाएगा।
फैक्ट
– नौ विधानसभा सीटें हैं इंदौर जिले में।
– आठ सीटें पिछली बार बीजेपी जीती थी।