ब्यूरो रिपोर्ट समाचार भारती-
जब 1 जुलाई 2017 को “एक राष्ट्र, एक कर” शासन लागू किया गया था, तो पांच पेट्रोलियम उत्पादों-पेट्रोल, डीजल, कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस और विमानन टरबाइन ईंधन को जीएसटी से बाहर रखा गया था.
यद्यपि उद्योग और मंत्रियों धर्मेंद्र प्रधान और नितिन गडकरीके बीच पेट्रोल और डीजल पर जीएसटी के लिए क्रूड प्राइस अस्थिरता से निपटने के लिए जल्द से जल्द बातचीत हो सकती है.
पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने पेट्रोल और डीजल पर जीएसटी के लिए कोई प्रस्ताव नहीं दिया है, लेकिन 4 अगस्त को हुई जीएसटी परिषद की बैठक में इस मुद्दे को उठाया गया था.
रिपोर्ट के अनुसार सभी राज्य इसका विरोध कर रहे हैं. यदि जीएसटी के तहत दो ईंधन लाये जाते हैं, तो केंद्र को जीएसटी से पेट्रोल, डीजल, प्राकृतिक गैस, जेट ईंधन और कच्चे तेल में अपनी जेब से 20,000 करोड़ इनपुट टैक्स क्रेडिट देना होगा.
दूसरी ओर राज्य केरल में बाढ़ जैसी किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए अपने खजाए को मजबूत बनाये रखना चाहते हैं. पेट्रोल-डीजल पर जीएसटी लागू करने में सबसे बड़ी मुश्किल यह भी है कि जब भी बेंचमार्क अंतरराष्ट्रीय तेल की कीमतों में वृद्धि होगी इससे राजस्व पर असर पड़ेगा.
केंद्र वर्तमान में पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 19.48 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 15.33 रुपये प्रति लीटर लगाता है. जबककी राज्य मूल्य वर्धित कर (वैट) लेते हैं.
यह अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में सबसे कम है जहां ईंधन दोनों पर 6% बिक्री कर लगाया जाता है. पेट्रोल पर 39.12% का उच्चतम वैट है, जबकि तेलंगाना डीजल पर 26% का उच्चतम वैट है.