उच्चस्तरीय टीम-09 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दिशा-निर्देश

By | January 1, 2022

ब्यूरो रिपोर्ट

● प्रदेश में कोरोना के नए मामलों में तेजी देखने को मिल रही है। हालांकि संक्रमण की स्थिति अभी पूरी तरह नियंत्रण में है। थोड़ी सी भी लापरवाही प्रदेशवासियों के लिए भारी पड़ सकती है। बीते 24 घंटों में हुई 01 लाख 93 हजार 549 सैम्पल की जांच में कुल 383 नए संक्रमितों की पुष्टि हुई। इसी अवधि में 31 लोग उपचारित होकर कोरोना मुक्त भी हुए। आज प्रदेश में कुल एक्टिव कोविड केस की संख्या 1211 है, जबकि 16 लाख 87 हजार 859 मरीज कोरोना को मात दे चुके हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि संक्रमण तेज है लेकिन वायरस कमजोर है। अतः कोरोना प्रोटोकॉल का हर हाल में अनुपालन जरूरी है। लोगों को बचाव के संबंध में लगातार जागरूक किया जाए। उन्हें मास्क पहनने, टीकाकरण कराने और सोशल डिस्टेन्सिंग का पालन करने के लिए प्रेरित किया जाए। बचाव का यह सर्वोत्तम प्राथमिक उपाय है।

● कोरोना के दृष्टिगत जेलों में निरुद्ध बंदियों की सुरक्षा के लिए संबंधियों से मुलाकात की व्यवस्था को स्थिति सामान्य होने तक स्थगित रखा जाए। बाराबंकी में कोविड पॉजिटिव पाए गए बंदी के स्वास्थ्य की सतत निगरानी की जाए। आवश्यकता होने पर तत्काल अस्पताल में इलाज की सुविधा मुहैया कराई जाए।

● प्रदेश में मौजूद शासकीय/निजी कोविड अस्पतालों की तैयारी की समीक्षा के साथ-साथ मॉक ड्रिल भी किया जाना चाहिए। 03-04 जनवरी को यह कार्य प्रदेश में एक साथ हो। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी/विशेषज्ञों की निगरानी में संसाधनों की परख की जाए। वेंटिलेटर, नीकू, पीकू की संख्या आवश्यकतानुसार और बढ़ाई जाए। अब तक 551 ऑक्सीजन प्लांट क्रियाशील हो चुके हैं। सभी क्रियाशील रखे जाएं।

● मार्च 2020 में जब प्रदेश में पहला कोविड केस आया था तब हमारे पास न टेस्टिंग फैसिलिटी थी न ही उपचार की। आज हर जिले में आरटीपीसीर टेस्ट लैबोरेटरी एक्टिव हैं। हर जिले में ऑक्सीजन प्लांट हैं और आइसोलेशन, आईसीयू बेड्स भी पर्याप्त संख्या में हैं। कोरोना के खिलाफ अब तक की लड़ाई में उत्तर प्रदेश के प्रयास को वैश्विक सराहना मिली है, आगे भी हम सभी के सहयोग से जीत हासिल करेंगे।

● कोविड के खिलाफ वैक्सीन सुरक्षा कवच है। जिन लोगों ने अभी तक वैक्सीन नहीं लगवाया है, उन्हें जल्द से जल्द टीका लगवाने के लिए प्रेरित किया जाए। साथ ही, जिन लोगों को टीके की दूसरी डोज दी जानी है, उन्हें शीघ्र ही यह डोज लगायी जाए। टीका लगाने के लिए सीएम हेल्पलाइन के माध्यम से भी आमजन से संपर्क किया जाए।

● 03 जनवरी से 15 से 18 वर्ष के किशोर बच्चों को कोविड टीकाकरण का सुरक्षा कवर प्रदान करने का महत्वपूर्ण कार्यक्रम प्रारंभ हो रहा है। इसी प्रकार, 10 जनवरी से सभी कोरोना वॉरियर्स, हेल्थकेयर व फ्रंटलाइन वर्कर्स तथा 60 वर्ष से ऊपर की आयु के को-मॉर्बीडिटी वाले नागरिकों को प्री-कॉशन डोज दी जाएगी। इसके दृष्टिगत वैक्सीन की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। भारत सरकार से सतत संपर्क में रहें। कोविड टीकाकरण में उत्तर प्रदेश ने अब तक शानदार कार्य किया है। यह क्रम आगे भी जारी रहे, इसके लिए सभी जरूरी प्रबंध किए जाएं। किशोरों के टीकाकरण के लिए व्यापक जागरूकता अभियान चलाया जाए।

● 20 करोड़ 14 लाख से अधिक कोविड टीकाकरण और 09 करोड़ 31 लाख से अधिक टेस्टिंग करके उत्तर प्रदेश टेस्टिंग और टीकाकरण देश में प्रथम स्थान पर है। यहां 07 करोड़ 34 लाख से अधिक लोगों को टीके की दोनों डोज देकर कोविड का सुरक्षा कवर प्रदान कर दिया गया है। 12 करोड़ 80 लाख लोगों ने टीके की पहली डोज प्राप्त कर ली है। इस प्रकार टीकाकरण के लिए पात्र प्रदेश की कुल आबादी में लगभग 87 फीसदी को पहली और 49.80 फीसदी लोगों को दोनों डोज मिल चुकी है। वैक्सीनेशन को और तेज करने की जरूरत है।

● कोरोना के खिलाफ अब तक की लड़ाई में निगरानी समितियों ने प्रभावी भूमिका रही है। इन्हें एक्टिव करते हुए डोर-टू-डोर टीकाकरण की स्थिति का सर्वे किया जाए और बचे हुए लोगों का टीकाकरण कराया जाए। बाहर से गांव-शहरी वार्ड में आने वालों की ट्रेसिंग-टेस्टिंग कराई जाए। आवश्यकतानुसार होम क्वारन्टीन अथवा अस्पताल में उपचार की सुविधा दिलाई जाए।

● पुलिस द्वारा लोगों को मास्क लगाने, भीड़ न लगाने तथा रात्रि 10 बजे के बाद घर जाने के लिए प्रेरित किया जाए। रात्रिकालीन कोरोना कर्फ्यू के नाम पर किसी के भी साथ दुर्व्यवहार न किया जाए। इस बात पर भी ध्यान दिया जाए कि लोगों में अनावश्यक पैनिक न हो।

● प्रदेश के सभी जनपदों में स्थापित किए गए इंटीग्रेटेड कोविड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर (आईसीसीसी) को 24×7 एक्टिव रखा जाए। पूर्व की भांति वहां नियमित बैठकें आयोजित की जाएं। आईसीसीसी हेल्पनंबर सार्वजनिक कर इसका व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए। लोग किसी जरूरत पर तत्काल वहां संपर्क कर सकते हैं।

● निर्माण कार्य में संलग्न विभिन्न कार्यदायी संस्थाओं के कार्य की मुख्य सचिव द्वारा समीक्षा की जाए। दशक भर से लंबित प्रोजेक्ट की देरी पर जवाबदेही तय की जाए। कार्य में गुणवत्ता, शुचिता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जाएं।

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