
समाचार भारती के लिए संवाददाता योगेश गुप्ता की स्पेशल रिपोर्ट
अपने जातीय प्रेम में सांसद अनुप्रिया पटेल ने क्षत्रिय समाज के 7 युवकों पर संगीन धाराओं मे FIR दर्ज करवाया !!
मीरजापुर जिले में 18 नवंबर 2024 को हुई घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया कि प्रशासन और राजनीति का झुकाव विशेष जाति की ओर होता जा रहा है। अजय पटेल के रास्ते में भैंस बांधने को लेकर हुए विवाद में क्षत्रिय और पटेल समाज के बीच झड़प हो गई। लेकिन इसके बाद जो हुआ, उसने क्षत्रिय समाज को हिला कर रख दिया।
क्षत्रिय युवाओं पर फर्जी मुकदमे-
क्षत्रिय समाज के व्यक्ति राधेश्याम सिंह गहरवार जी के घर 21 तारिख को तिलक था व 22 को बेटे का विवाह है। तिलक व शादी की तैयारियां चल रहा था सभी बहन, बेटी, मेहमान एकत्रित हुए थे ! वही पास में दूसरे तरफ के अजय पटेल का घर है जिनके घर के सामने से सभी राधेश्याम जी के घर मांगलिक कार्यक्रम में आते थे अजय पटेल उसी रास्ते मैं भैंस बांध देते थे जिससे 2 महिला घायल हुई, क्षत्रिय परिवार के घर की तरफ से आग्रह करने गये कि भैंस कहीं और बांध लें जब तक मांगलिक कार्यक्रम है, कहीं कोई बुजुर्ग या महिला घायल ना हो जाए, इसी बात पर दोनों पक्षों में विवाद हो गया, जिसमें दोनों पक्ष घायल हुए। लेकिन माननीय सांसद अनुप्रिया पटेल के दवाब पर प्रशासन और पुलिस की कार्रवाई केवल क्षत्रिय युवाओं के खिलाफ हुई। इससे यह साफ होता है कि ठाकुर समाज के लड़कों के करियर को बर्बाद करने के लिए फर्जी मुकदमों का सहारा लिया जा रहा है।
मां. अनुप्रिया पटेल पर पक्षपात का आरोप-
स्थानीय लोगों का कहना है कि मां. सांसद अनुप्रिया पटेल ने इस मामले में पटेल समाज के पक्ष में हस्तक्षेप कर प्रशासन को क्षत्रिय युवाओं के खिलाफ एकतरफा कार्रवाई करने के लिए मजबूर किया। इससे क्षत्रिय समाज में भारी रोष है।
पटेल समाज की तरफ से भैंस बांधने पर हुए विवाद पर अब क्षत्रियों पर फर्जी अपहरण,बलत्कार, छेड़छाड़ और हत्या का आरोप लगाकर FIR करवाया गया है ।
बीजेपी सरकार में क्षत्रिय समाज की अनदेखी-
यह पहली बार नहीं है जब ठाकुर समाज के खिलाफ प्रशासन ने ऐसा रुख अपनाया है। पिछले कुछ सालों में कई घटनाएं हुईं, जहां क्षत्रिय समाज के लोगों की हत्या हो गई, लेकिन उनके हत्यारों की गिरफ्तारी नहीं हुई। वहीं, मामूली विवादों में क्षत्रिय युवाओं पर फर्जी मुकदमे दर्ज कर उन्हें जेल में डाल दिया जाता है।
करियर बर्बाद करने की साजिश-
क्षत्रिय समाज के लोग इस बात से चिंतित हैं कि उनके बच्चों के भविष्य को बर्बाद करने के लिए प्रशासनिक तंत्र और राजनीतिक प्रभाव का उपयोग किया जा रहा है। फर्जी मुकदमों के चलते कई युवाओं की पढ़ाई और रोजगार के अवसर खत्म हो जाते हैं।
क्षत्रिय समाज की मांग-
1.इस मामले की निष्पक्ष जांच हो और फर्जी मुकदमों को तुरंत वापस लिया जाए।
2.मां. अनुप्रिया पटेल और प्रशासन के पक्षपातपूर्ण रवैये की जांच हो।
3.क्षत्रिय समाज को न्याय दिलाने के लिए राज्य और केंद्र सरकार हस्तक्षेप करे।
4.अपनी निजी खुनस के कारण संपूर्ण क्षत्रिय समाज का विरोध अनुप्रिया पटेल कई वर्षों से करती आ रही है !
5. पूरे भारतवर्ष में सभी जानते हैं कि यूपी की कानून व्यवस्था सबसे बेहतर है लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बदनाम करने के लिए बार-बार कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए जा रहे हैं
6. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का विरोध करने के लिए प्रतापगढ़ की पूर्व सांसद और अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हरिवंश सिंह जी का टिकट भी अनुप्रिया पटेल की विरोध करने के कारण ही काटा गया था
7. 2024 के लोकसभा चुनाव में भी रघुराज प्रताप सिंह राजा भैया के खिलाफ भी इन्हीं अनुप्रिया पटेल ने अभद्र टिप्पणियां की थी
8 दो गुटों के मामूली से विवाद को पूरे भारतवर्ष में अपने सबसे कर्तव्य निष्ठा पुलिस प्रशासन पर उंगली उठाना अत्यंत ही असोभयनीय है
9 उत्तर प्रदेश ही नहीं पूरे भारतवर्ष में संपूर्ण क्षत्रिय समाज भारतीय जनता पार्टी का एक तरफ समर्थन करता है तो यह कहां का इंसाफ होगा लोकसभा में एक सीट लाकर के सांसद बनी अनुप्रिया पटेल को भारतीय जनता पार्टी ने अपने सिर आंखों पर बैठकर केंद्र में मंत्री बनाकर बैठाया है ।
10 अगर भारतीय जनता पार्टी अनुप्रिया पटेल को मंत्री नहीं बनाएगी तो क्या भारतीय जनता पार्टी को कुर्मी वोट नहीं देगा क्या ।
क्षत्रिय समाज का संदेश
हमारा इतिहास गौरवशाली रहा है। हम अन्याय सहने वालों में से नहीं हैं। अगर प्रशासन और राजनीति ने क्षत्रिय समाज के खिलाफ यह पक्षपात जारी रखा, तो हम सड़कों पर उतरकर लोकतांत्रिक तरीके से अपनी आवाज उठाएंगे।
यह घटना न केवल क्षत्रिय समाज के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए एक चेतावनी है कि राजनीति और प्रशासन के इस रवैये से किस प्रकार से जातिगत भेदभाव बढ़ रहा है। भाजपा सरकार से उम्मीद थी कि वह सभी समाजों को समान दृष्टि से देखेगी, लेकिन यह घटना उन दावों पर सवाल खड़े करती है।