भोपाल/ उमरिया। चंद्रयान-2 की सफलता में उमरिया जिला निवासी युवा वैज्ञानिक प्रियांशु का भी योगदान है। वह चंद्रयान-2 के सफल प्रक्षेपण करने वाले लॉन्च व्हीकल जीएसएलवी एमके-3 के निर्माण करने वाली टीम में शामिल थे। वर्तमान में वह इसरो के विक्रम साराभाई अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र तिरुवनंतपुरम केरल में पदस्थ हैं।
प्रियांशु (33) ने बीटेक एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई देहरादून से और एमई स्पेस एंड रॉकेटरी ब्रांच की पढ़ाई बीआईटीएम मेसरा रांची से की। इसके बाद 2009 से इसरो के वीएसएससी तिरुवनंतपुरम में पदस्थ हैं। इससे पहले वे चंद्रयान-1 के सफल प्रक्षेपण में भी योगदान दे चुके हैं।
इस मिशन के सफल होने पर प्रियांशु को भारत सरकार से यंग साइंटिस्ट अवार्ड 2017 मिला है। इसरो के अगले मिशन गगनयान में भी वह शामिल हैं।
बचपन से करते थे रॉकेट और अंतरिक्ष की बात
प्रियांशु के पिता विनोद कुमार ने समाचार भारती से कहा कि उनके लिए यह गर्व का क्षण है। मां प्रतिभा मिश्रा ने कहा कि वह बचपन से ही रॉकेट और अंतरिक्ष की बात करता था। आज उसने यह साबित कर दिया कि जो तय किया जाए, वह किया भी जा सकता है।
