ऑनलाइन कोर्सेज के जरिए हो रही है ठगी, सरकार के पास नहीं है कोई वाचिंग कमेटी

By | September 3, 2022

( अर्चना अवस्थी)

मोबाइल व इन्टरनेट के आने से समाज में जो भी बदलाव आये उनसे हम सभी परिचित हैं। परंतु देश में 3 जी व जियो द्वारा सभी तक सुलभता से डेटा पहुचने के बाद से जो बदलाव समाज में आये उन्होंने देश के तौर तरीकों को पूरी तरह बदल डाला। ओटी टी, ऑनलाइन मूवीज, ऑनलाइन शॉपिंग, ऑनलाइन खाने का सामान की उपलब्धता ने जीवन जीने के तरीकों में काफी बड़े बदलाव किये है lउन्ही बदलाव में शामिल है ऑनलाइन स्टडी। कोविड-19 जैसी बीमारी में लॉकडाउन के समय “ऑनलाइन पढाई” का प्रचलन शुरू हो चुका था ,परंतु महामारी की परिथितियों ने इस प्रचलन को काफी तीव्रता प्रदान की।
कोरोना काल में छोटे छात्रों से लेकर कम्पटीशन की तैयारी कर रहे छात्रों तक सभी ऑनलाइन पढाई पर ही आश्रित थे ,चाहे वो स्कूल कॉलेज की कक्षाएं हों या किसी विषय पर ट्यूशन या कोचिंग की जरुरत या फिर स्टडी मटेरियल सभी छात्रों के पास एक ही विकल्प था और वो था ऑनलाइन।
परंतु समय के साथ साथ ये विकल्प आदत या यूँ कहे आवश्यकता में बदल गया। ये विकल्प अपने साथ कुछ अच्छाइयां तो कुछ समस्याएं अपने साथ लेकर आया।
अच्छाइयों की बात करे तो इतने गंभीर समय में भी छात्र अपनी पढाई सुगमता से कर पाए, शिक्षक एक साथ बहुत से लोगों तक अपनी शिक्षा पंहुचा पाये, इसके साथ-साथ ऑनलाइन तैयारी या कोर्स छात्रों को कम मूल्य में ही उपलब्ध रहा।
यदि हम कमियों की बात करे तो गांव या दूर-दराज के लोगों के पास इन्टरनेट की सुविधा का अभाव रहा।और जिनके पास इन्टरनेट और मोबाइल उपलब्ध भी था तो उनके साथ कनेक्टिविटी की समस्या पायी गयी, बच्चों पर नज़र रखना कठिन हो गया ,सामाजिक जीवन में कमी व एकाकी स्वभाव व मोबाइल की लत भी ज्यादा देखने को मिली l एक ही विषय से संबंधी लाखों वीडियो मटेरियल व कोर्सेज ने छात्रों को विचलित भी किया, प्रमाणिकता के अभाव में सही और गलत का निर्णय करना कठिन रहा।
परंतु एक समस्या जिसपर मुख्य रूप से विचार करना आवश्यक वो है सभी कोर्सेज के लोकलुभावन विज्ञापन। यू पी एस सी, मेडिकल, व अन्य कंपीटिटिव परिक्षाओं के अलावा इंग्लिश, मेमोरी, डाटा एनालिसिस, अत्मविश्वास, इंटरप्रेन्योर, एकाग्रता और भी न जाने किन किन नामों से यूट्यूबरस ने अपने कोर्स बेंचने शुरू कर दिए। जिनके विज्ञापन देखकर छात्र आकर्षित हुए और कोर्सेज को खरीदना शुरू कर दिया, बाद में न उन कोर्सेज में कोई क्वालिटी मटेरियल मिला और न ही शिक्षक की कोई जिम्मेदारी तय की गई। एक तरफ भारत में ऑनलाइन कोर्सेज विदेशों की तर्ज पर शुरू किए गए ,तो वही सुरक्षात्मक दृष्टिकोण से कोई भी वाचिंग कमेटी कोर्स को लेकर अभी तक नहीं बनाई गई है और ना ही तो सरकार की तरफ से इन पर अभी ध्यान दिया जा रहा है ,जहां एक तरफ सरकार और आरबीआई की मंशा है की लोन देने वाले ऑनलाइन एप को बंद किया जाए ,तो वही तमाम ऐसे यूट्यूब चैनल भी बंद किए गए जो संप्रदायिकता फैलाने का काम कर रहे थे, मतलब साफ है कि सरकार ऑनलाइन चलन के बाहरी तंत्र पर नजर बनाए रखे हैं तो वही मूलभूत संरचना के रूप में दी जाने वाली शिक्षा जो ऑनलाइन के जरिए लोगों तक पहुंचाई जा रही है ,उसको लेकर किसी भी प्रकार के मानक “सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय” ने नहीं बनाए हैं l ऐसे में भ्रामक ऐड के जरिए मोटे रेट पर कोर्सेज बेचने वाले लोगों पर नजर रख पाना कठिन साबित हो रहा है lक्योंकि ज्यादातर वेबसाइट और युटुब चैनल बाहरी देशों द्वारा बनाए गए साइबर कानून से बंधे हुए हैं…. जिसमें सरकार इतना इंटरेस्ट नहीं लेती ,लेकिन सरकार का इंटरेस्ट ना लेना इसी बात का संकेत है कि सरकार शिक्षा के बढ़ते ऑनलाइन प्रचलन पर मौन है और इसी का फायदा उठाकर तमाम तथाकथित टीचर्स ग्राहकों से मोटी फीस वसूल रहे हैं lकोई मोटिवेशन के नाम पर, तो कोई मेडिटेशन के नाम पर ,तो कहीं अच्छी नौकरी दिलाने के नाम पर, आम जनता को सिर्फ ठगा जा रहा है lऐसे में सरकार भी कोई आंतरिक तंत्र मजबूत करें जिससे ऐसे तथाकथित, रुपयों की उगाही करने वाले लोगों पर नकेल कसी जा सके l
इन समस्याओं या लालच वश बनायीं गयी समस्याओं पर ध्यान देना अति आवश्यक है। क्योंकि छात्र ही देश का भविष्य है और यदि उनके ही भविष्य से खिलवाड़ होगा तो वे देश , समाज के प्रति सोच और समझ कैसे विकसित कर पाएंगे। ई लर्निंग पर भी नियम कानून बनाना व लागु करना भी अति आवश्यक हो गया है।