ब्यूरो चीफ़ आरिफ़ मोहम्मद कानपुर
कानपुर के कल्याणपुर में ब्रेन और एंडोस्कोपी स्पाइन से पीड़ित मरीज़ *नामुमकिन को मुमकिन* कर देने का काम डॉ शैलेश कुमार सिंह न्यूरो सर्जन द्वारा बहुत ही आसान तरीके से और कम समय में गंभीर समस्याओं से पीड़ित मरीज जो उठना बैठना और टट्टी पेशाब तक जाना भी मुमकिन नहीं, ऐसी स्थिति में मरीज डॉ शैलेश कुमार सिंह से परामर्श लेने के बाद और वह आप्रेशन जोकि बहुत ही महंगा ऑपरेशन माना जाता है जिसे डॉक्टर मरीज की उसकी स्थिति के अनुसार बहुत ही कम समय में और कम रुपए में इलाज के साथ-साथ सामाजिक सेवा भी कर रहे हैं जिसके चलते एसआईएस हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में 4 से 5 मरीजों का ब्रेन और एंडोस्कोपी स्पाइन सर्जरी की जिसमें डॉक्टर साहब के मुताबिक न तो कोई चीर फाड़ और ना ही किसी प्रकार से हड्डी की कांट छांट किए बगैर, मरीज से बातचीत करते हुए सिर्फ़ बेहोशी की हालत में मरीज का सफलतापूर्वक ऑपरेशन करने के बाद मरीज़ को कुछ समय के लिए वार्ड में शिफ्ट कर देते है और फ़िर डॉ वार्ड में आकर मरीज के परिजनों से बातचीत कराते हैं और उसके उपरांत कुछ ही देर में मरीज को डिस्चार्ज कर घर भी भेज देते हैं।
*स्पाइन मरीज को शुरुआती दौर में होने वाली समस्याएं*
मरीज को मुख्यतः कमर दर्द के साथ-साथ उसके दाहिने पैर में या बाएं पैर में या फिर कभी कभी दोनों पैरों में दर्द रहता है जिससे मरीज ना तो अधिक चल सकता है और न ही काफी देर तक वह खड़े होकर काम भी नहीं कर सकता है, इसके साथ साथ गर्दन में भी दर्द रहता है और दोनों हाथों में भी दर्द रहता है कभी-कभी दोनों पैरों में झनझनाहट सी होती है साथ ही पैरों से चप्पल का निकल जाना जोकि स्पाइन के मरीजों में इस प्रकार की समस्याएं अधिक रहती हैं जिसका शुरुआती दौर में मरीज यदि गंभीरता से लेते हुए सही परामर्श ले लेते तो दवाओं और एक्सरसाइज से 90 प्रतिशत मरीज को निजात मिल सकती है। जिसमें मरीज को एम आर आई की जांच भी कराने की जरूरत नहीं पड़ती है।
*स्पाइन का दूरबीन विधि द्वारा सफल ऑपरेशन*
स्पाइन में गंभीर मरीज का ज्यादातर इलाज सिर्फ एकमात्र रास्ता है आप्रेशन, अप्रेशन केवल दूरबीन विधि द्वारा सिर्फ एक चीरा लगाकर ही किया जाता है जिसमें मरीज को 2 दिन के बाद हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर घर भेज दिया जाता है। कभी-कभी स्पाइन के मरीज को नर्ब ब्लॉक मतलब उसी नस को ब्लॉक कर दिया जाता है और मरीज जब राहत महसूस करने लगता है तो ऐसे मरीज को उसी दिन डिस्चार्ज करके घर भेज दिया जाता हैं।
