
भोपाल। मध्यप्रदेश में राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच कहासुनी जारी है। लेकिन मुखौती नहीं, चिट्ठी-पतरी में। आज, यानी सोमवार को राज्यपाल लालजी टंडन की दूसरी चिट्ठी सामने आई। उन्होंने मुख्यमंत्री कमलनाथ के राजनीतिक रवैये पर सख्ती दिखाई है और मंगलवारयानी 17 मार्च को ही फ्लोर टेस्ट कराने को कहा है। यह चिट्ठी इतने गुस्से में लिखी गई है कि महज 341 शब्दों के पत्र में 14 गलतियां या वाक्य विन्यास की अशुद्धियां रह गईं।
पत्र को मप्र भाजपा औरपूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के ट्विटर हैंडल से भी रीट्वीट किया गया। दिलचस्प यह रहा कि मप्र के भाजपा के ट्विटर संदेश में निर्देश शब्द भी अशुद्ध लिखा गया।
कुछ उदाहरण:राज्यपाल के पत्र में मर्यादाओं में ‘आ’ की मात्रा छूटगई तो ‘नहीं’ लिखने में बिंदी गुम हो गई। इसी तरह स्थगित शब्द में एक मात्रा ज्यादा लग गई तो यह’स्थागित‘ हो गया और विधानसभा शब्दमें मात्रा छूटी तो यह ‘विधान सभ‘ लिखागया। ऐसे ही परिस्थितयों की जगह ‘परिस्थतियां‘ लिखा गया और दो जगह अल्प विराम और पूर्ण विराम न होने की कमी अखरी।
हमनेजब इस पत्र को पढ़ा तो उसमें हुईंगलतियों को नजरअंदाज करना ठीक नहीं लगा, इसलिए उन्हें यलो मार्क करके सामने लाने की कोशिश की, ताकि महामहिम तक यह संदेश पहुंचे और उनकी स्वस्थ लोकतंत्र की भावना में शुद्धता की भावना थोड़ी औरबढ़ जाए।
माननीय राज्यपाल का वह पत्र और अशुद्धियां-
प्रिय श्री कमल नाथ जी,
मेरे पत्र दिनांक 14 मार्च, 2020 का उत्तर आपसे प्राप्त हुआ है, धन्यवाद,1.(यहां पूर्ण विराम छूट गया)मुझे खेद है कि पत्र का भाव/भाषा संसदीय 2.मर्यदाओं(सही शब्द -मर्यादाओं) के अनुकूल 3.नही (यहां बिंदी छूट गई) है।
मैंने अपने 14 मार्च, 2020 के पत्र में आपसे विधान सभा में 16 मार्च को विश्वास मत प्राप्त करने के लिए निवेदन किया था । आज विधान सभा का सत्र प्रारंभ हुआ, 4.मैंने अपना अभिभाषण पढ़ा, परन्तु आपके द्वारा सदन का विश्वास मत प्राप्त करने की कार्यवाही प्रारंभ नहीं की (वाक्य अस्पष्टऔर की जगह’की गई’ होना चाहिए था) और इस संबंध में कोई सार्थक प्रयास भी नहीं किया गया और सदन की कार्यवाही दिनांक 26.03.20 तक 5.स्थागित(सही शब्द स्थगित)हो गई।
आपने अपने पत्र में सर्वोच्च न्यायालय के जिस निर्णय का जिक्र किया है वह वर्तमान6.परिस्थतियों (सही शब्द – परिस्थितियों)और 7.तथ्यों में लागू नहीं होता है (वाक्य अस्पष्ट है)। जब यह प्रश्न उठे कि किसी सरकार को सदन का विश्वास प्राप्त है या नहीं 8.(यहां अल्प विराम छूट गया) तब ऐसी स्थिति में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अपने अनेक निर्णयों में निर्विवादित रूप से स्थापित किया गया है कि इस प्रश्न का 9.उत्तर अंतिम रूप से सदन में फ्लोर टेस्ट के माध्यम से ही हो सकता है।(सही – इस प्रश्न का उत्तर अंतिम रूप से सदन में फ्लोर टेस्ट के माध्यम से ही मिलसकता है।)
यह खेद की बात है,10.(यहां अनावश्यक अल्प विराम लगा ) कि आपने मेरे द्वारा आपको दी गई समयावधि में अपना बहुमत सिद्ध करने 11.के बजाय (सही शब्द की बजाय), यह पत्र लिखकर, विश्वास मत प्राप्त करने एवं 12.विधान सभ (सही शब्द – विधानसभा)में फ्लोर टेस्ट कराने में अपनी असमर्थतता व्यक्त की है/13.आना-कानी की है, (सही शब्द आनाकानी ) जिसका कोई भी औचित्य एवं आधार नहीं है । आपने अपने पत्र में फ्लोर टेस्ट नहीं कराने के जो कारण दिये हैं वे आधारहीन एवं अर्थहीन14.है (यहांबहुवचन की बिंदी रहगई)।
अतः मेरा आपसे पुनः निवेदन है कि आप संवैधानिक एवं लोकतंत्रीय (यहां लोकतांत्रिक शब्दज्यादा अच्छा होता ) मान्यताओं का सम्मान करते हुए कल दिनांक 17 मार्च, 2020 तक मध्यप्रदेश विधान सभा में फ्लोर टेस्ट करवाएं तथा अपना बहुमत सिद्ध करें, अन्यथा यह माना जाएगा कि वास्तव में आपको विधान सभा में बहुमत प्राप्त नहीं है ।