एक कोशिश ऐसी भी..लगभग 50 वर्ष की गुमशुदा महिला को अपने परिवार से मिलाने का सुख प्राप्त हुआ

By | November 13, 2022

मनीष गुप्ता, editor-in-chief समाचार भारती

 

प्रभु आपकी कृपा से सब काम हो रहा है
करते हो तुम कन्हैया मेरा नाम हो रहा है ।

10 नवंबर की रात में रियाज भाई की कॉल आई की एक महिला हमारे ऑफिस के नीचे मुख्यमंत्री आवास के पास मिली है जो कि काफी परेशान और घबराई है।
आसपास पूछने पर पता चला कि लगभग 6 घंटे से एक जगह पर खड़ी है और परेशान है ना कहीं ना जा रही है ना किसी से बात कर रही है और ना कुछ खाया पिया है।
क्या इस मामले में कोई मदद मिल सकती है।
तत्काल एंबुलेंस सहित 20 मिनट महिला के पास पहुंचकर बातचीत कर कुछ जानने की कोशिश की गई।
My mumma is not accepting me.
वह महिला लगातार सिर्फ यही बता रही थी अच्छे कपड़े पहने थी साफ-सुथरी थी हिंदी इंग्लिश मिक्स करके बात कर रही थी और ठीक-ठाक फैमिली से बिलॉन्ग करती थी ऐसा बातचीत से प्रतीत हो रहा था।
क्योंकि रात का समय था तो अन्य कार्यवाही की जगह पहला मुद्दा था कि रात किसी सुरक्षित स्थान पर गुर्जरवाई जाए महिला की।
बातचीत में भरोसा दिलाया गया कि आप को सुरक्षित स्थान पर हम लोग ले जाएंगे अच्छा खाना अच्छे कपड़े और कहीं दोस्तों के साथ आप को रखा जाएगा फिर कल आपकी माता जी से बात करके उनको समझा कर आप से मिलवाया जाएगा ताकि वह आपको वापस एक्सेप्ट कर पाए।
कुछ देर समझाने के बाद महिला मान जातियों और आशियाना स्थित ‘ पाल मर्सी होम’
जाने के लिए राजी हो जाती है और कुछ ही देर में हम लोग गुमशुदा महिला के साथ ऑल मर्सी होम पहुंच जाते हैं और कागजी कार्रवाई करके उन्हें वहां पर सुरक्षित रखवा दिया जाता है रात तक खाना खिलवा कर सवेरे बिनसी जी कार्रवाई में जुट जाती हैं ।
ज्योति खरे जी की मदद से महिला के परिवार का पता लगा लिया जाता है और शाम तक उनकी सुपुर्दगी कर दी जाती है।
रियाज भाई जिन्होंने इस महिला को अकेली और परेशान जानकर हम से संपर्क किया समाज के प्रति हर व्यक्ति की जो जिम्मेदारी बनती है उन्होंने वहां जिम्मेदारी अदा की इसके लिए वह बधाई के पात्र हैं.
यदि हर व्यक्ति अपनी जिम्मेदारी समाज और देश के प्रति परिवार के प्रति सही से निभाए तो बहुत जल्द हम लोग एक सुखद तस्वीर समाज के सामने पेश कर सकते हैं
हम प्रभु के साथ-साथ विंसी जी और ज्योति खरे जी का तहे दिल से आभार करते हैं जिन्होंने महिला के परिवार को ढूंढने में दिन रात एक कर दिया और परिवार से मिलाकर एक बड़ी खुशी उन दिनों के चेहरे पर साफ देखी जा सकती थी।
जब तक आपके दोस्त मित्र परिवार आपके साथ हैं तब तक हमें उनकी अहमियत नहीं समझ आती है परंतु जब व्यक्ति ऐसी स्थिति में आ जाता है खो जाता है परिवार से अलग हो जाता है मित्रों से दूर हो जाता है तब आपको उन लम्हों की कद्र होती है तब आपको परिवार की मित्रों की कमी महसूस होती है।
जीते जी कद्र करें परिवार की और मित्रों की कोरोना की दूसरी लहर के बाद मैंने तो नहीं सीखा है।
ऐसे ही किसी वास्तविक सेवा की संपर्क कर सकते हैं संपर्क सूत्र वर्षा वर्मा 831 819 3805