(मनीष गुप्ता, editor-in-chief समाचार भारती)
जिंदगी डेली सोप हो गई
आजकल की जो तेरी सोप ( सीरियल/ नाटक ) जो टीवी पर देखते हैं।
क्योंकि सास भी कभी बहू थी!
डायन बहू!
यह रिश्ता क्या कहलाता है!
आदि टाइप, इसमें रिश्तो से खिलवाड़ किया जाता है , जो साजिशें रची जाती है ।यह सब देखकर लगता था कि सिर्फ टीवी पर दिखाते हैं लोग बर्बाद हो रहे हैं सब देख देख कर ।
परंतु कल जब हकीकत से सामना हुआ तो रिश्तो से विश्वास उठ गया।
निरंतर कोई न कोई कहानी , केस बनकर सामने आती है और मन विचलित हो जाता है रिश्तो से विश्वास उठने लगता है।
* तस्वीर में दिख रहे बुजुर्ग अच्छे परिवार के देख रहे हैं।
* एक केस पर ही थे वहीं पर इनके लिए कॉल आई की बेड से गिर गए हैं मुंह से ब्लीडिंग हो रही है।
* क्या आप कुछ मदद कर पाएंगी?
* हमने उन तक क्या मदद पहुंचाई उससे पहले हम बताते हैं कि इनके परिवार जन से जब बात हुई तो उन्होंने क्या कहा।
* सर्वेश जी की कॉल आई थी हमारे पास सर्वेश जी इनकी बड़ी बेटी के घर कानपुर और छोटी बेटी के घर दिल्ली गए ।
* बड़ी बेटी ने बताया कि जब हमें पैसे की जरूरत थी तो पिताजी ने दिए नहीं थे।
इसलिए अब जब इनकी मृत्यु हो जाए अंतिम संस्कार कर लीजिएगा तब बताइएगा।
मुझे इन से कोई लेना देना नहीं है।
* सात फेरे लेकर पत्नी ने वचन कुछ इस तरह निभाए
जब यह मर जाएं क्रिया कर्म के बाद बताना हमें हम चूड़ियां फोड़ने आएंगे।
* खैर , यह रही उनकी बातें उनके परिवार की बातें।
* हम अपनी टीम के साथ उस जगह पहुंचे जहां पर एक छोटे से कमरे में अंकल लगभग बेहोशी की हालत में पड़े थे।
* अंकल की हेल्प अच्छी थी इसलिए यह तो तय था कि हम अकेले 2 लोग नहीं उठा सकते थे इसलिए निश्चय लिया कि आसपास के लोगों को बुलाते हैं।
* 5 से 6 लोगों को जब हमने मार्केट से बुलाया तो सभी का यह कहना था कि हम नहीं आएंगे दुकान छोड़कर , हम ठेका छोड़कर नहीं जाएंगे , मैं नहीं आऊंगा मैं कमजोर हूं , दुकानदारी करें कि यह सब करें।
इत्यादि
* मैंने वीडियो में गुहार भी लगाई है कि यदि अंकल को कोई पहचानता हो और उनकी तीमारदारी के लिए यदि कोई यहां आ सकता है लखनऊ में तो अंकल सिविल अस्पताल के 27 नंबर बेड पर एडमिट है।
* तत्काल अंकल जी को एंबुलेंस में लेटा कर सिविल अस्पताल लाया गया और प्राथमिक उपचार शुरू किया गया जहां पर डॉक्टर ने बताया कि केस सीरियल है।
*आज सुबह से हमारी टीम अंकल जी की सेवा में लगी है।
* 27 नवंबर से पहले 26 नवंबर बेड पर भी कल सड़क से उठाया गया पेशेंट जिसको लोगों ने मरा हुआ समझा था वह भी एडमिट है।
* कल सारी रात मंथन रहा की रिश्ते इतने दिखावटी क्यों होते जा रहे हैं
* आज मैंने उनके घर में बिटिया दमाद को कॉल किया और उन्हें बताया कि आपके पापा सिविल अस्पताल के 27 नंबर बेड पर एडमिट है कृपया आप मिल जाए आकर क्योंकि मुझे पता था कि यह ऐसे तो आने से रहे क्योंकि वह ऑलरेडी मना कर चुके हैं आने से तो मैंने उनसे कहा कि अंकल के हाथों में अंगूठियां और गले में चेन थी अंकल से मिल भी लीजिएगा और सामान ले जाइएगा।
मजेदार बात यह है कि , वह आने के लिए रा़जी भी हो गए इस बात से कि मरते समय उनको कुछ तो हाथ लग जाएगा।
* और पहले जब उनके घर जाया गया था तब उन्होंने कहा था कि अब उनसे कोई लेना देना नहीं है मर जाएं तो अंतिम संस्कार के बाद जानकारी दे दीजिएगा और आज जब ज्वेलरी की बात कही तो वह आने के लिए राजी भी हो गए।
वाह रे रिश्ते
भारी रिश्ते
दिखावटी रिश्ते
खैर, प्रभु की जो आज्ञा थी मैंने अपने कर्तव्य को पूरा किया बाकी प्रभु इच्छा और उनके कर्
सर्वेश जी का तहे दिल से आभार व्यक्त करती हूं जिन्होंने इस विश्वास के साथ कॉल किया कि हम इस केस में उनकी कुछ मदद कर सकते हैं।
और उनका विश्वास पर खरे उतरने की पूरी कोशिश हमारी तरफ से रही।
सर्वेश जी के नेक सोच और नेक कार्य उनको सदैव स्वस्थ रखें ऐसी प्रभु से प्रार्थना है
आप सभी लोगों का विश्वास प्रभु की कृपा बनी रहे ऐसी प्रार्थना है ऐसी किसी वास्तविक सेवा के लिए संपर्क कर सकते हैं संपर्क सूत्र वर्षा वर्मा 831 819 3805
