नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी सरकार नई दिल्ली के ऐतिहासिक राजपथ के इलाके को दोबारा विकसित करने जा रही है। एडविन लुटियंस ने राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक को डिजायन किया था। अब चार स्कवॉयर किलोमीटर के दायरे वाले इस क्षेत्र में मौजूद इमारतों को लेकर नया प्लान तैयार किया जा रहा है। इस योजना के तहत मोदी सरकार के सभी मंत्रालय एक ही छत के नीचे दिखेंगे। खास बात यह होगी कि सभी मंत्रालय प्रधानमंत्री कार्यालय से लाइव जुड़े रहेंगे। दरअसल सरकार राजपथ, संसद भवन और सचिवालय को नए तरीके से बनाने जा रही है। सेंट्रल विस्टा के मास्टर प्लान में नए भारत के मूल्य और आकांक्षाओं की झलक दिखेगी।
फिर से बनेंगे नए बनेंगे संसद भवन, राष्ट्रपति भवन, इंडिया गेट
एक मंत्रालय से दूसरे मंत्रालय पैदल जा सकेंगे
2024 के चुनावों तक तैयार होगा संसद भवन
ग्रीन ब्लू नेटवर्क पर आधारित होगी बिल्डिंग
नए कॉमन सेंट्रल सेक्रेटेरियट की बिल्डिंग ग्रीन ब्लू नेटवर्क पर आधारित होगी। सोलर एनर्जी का अधिकतम इस्तेमाल होगा। मंत्रालयों के बीच ही एक पेडेस्ट्रियन एवं साइकिल नेटवर्क तैयार किया जाएगा। संसद भवन की मौजूदा बिल्डिंग के साथ ही एक नव-विकसित संसद भवन का निर्माण होगा या फिर भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए मौजूदा भवन का ही आधुनिकीकरण किया जाएगा। सेंट्रल विस्टा को अपग्रेड करके इसे प्रमुख पर्यटक आकर्षण स्थल बनाया जाएगा। केंद्रीय लोक निर्माण विभाग ने कंपनियों और सलाहकारों से पूरे सेंट्रल विस्टा के लिए एक नया मास्टर प्लान तैयार करने के लिए बोलियां आमंत्रित की हैं।
दिल्ली की लैंड पूलिंग योजना भी इसी प्रोजेक्ट का हिस्सा है। इसके तहत 2027 तक लोगों को 17 लाख नए घर मिल जाएंगे। खास बात यह है कि डीडीए द्वारा इस पॉलिसी के तहत जो रिहायशी या कॉमर्शियल क्षेत्र विकसित किया जाएगा, वह दुनिया के सर्वश्रेष्ठ प्रोजेक्ट में शुमार होगा।
कई इमारतों का पूरा हो चुका है जीवन काल
योजना में बुनियादी सुविधाओं, साधन, पार्किंग और हरित क्षेत्र की जगह को अपग्रेड करना शामिल है। उन्होंने बताया कि लुटियन जोन की अधिकांश इमारतें अपना जीवन काल पूरा करने के करीब हैं और इन्हें फिर से बनाने की आवश्यकता है। यही वजह है कि मौजूदा सुविधाओं की मांग को पूरा करने के लिए इसका बुनियादी ढांचा अपर्याप्त है। मंत्री हरदीप सिंह पुरी का कहना था कि संसद भवन में सभी सांसदों को कार्यालय नहीं मिल पाता है। अगर भविष्य में परिसीमन के बाद संसद में सीटें बढ़ती हैं तो भी सांसदों के बैठने के लिए सीटों की संख्या में बढ़ोतरी करनी होगी। करीब 100 साल पहले निर्मित इमारतें जैसे कि उत्तर और दक्षिण ब्लॉक भूकंप से सुरक्षित नहीं हैं। काम करने की जगह, पार्किंग और दूसरी सुविधाओं के लिहाज से यहां जगह बहुत कम पड़ती है।
1911 और 1931 के बीच बनी थीं सभी इमारतें
ऐतिहासिक इमारतों राष्ट्रपति भवन, संसद भवन, नॉर्थ और साउथ ब्लॉक का निर्माण 1911 और 1931 के बीच हुआ था। संसद भवन का निर्माण 1927 में पूरा हुआ था। आर्किटेक्ट एडविन लुटियंस और हरबर्ट बेकर ने सेंट्रल विस्टा की योजना बनाई थी। एक बार नया सचिवालय बन जाए तो सरकार नॉर्थ और साउथ ब्लॉक के कार्यालयों को इनमें शिफ्ट कर सकती है। सूत्रों का कहना है कि सरकार इन इमारतों को म्यूजियम में तब्दील करने पर भी विचार कर रही है। इससे पहले यूपीए-2 के कार्यकाल के दौरान नए संसद भवन के निर्माण पर चर्चा शुरू हुई थी लेकिन बाद में यह मामला अधर में लटक गया।
