तो क्या बैंकों में भी सुरक्षित नहीं है आपका पैसा? जानिए RBI के इस नियम के बारे में

By | September 29, 2019

मुम्बई। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा पंजाब और महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव ( PMC ) बैंक पर छह महीने का प्रतिबंध लगाया गया है, जिसके बाद ग्राहकों को केवल 10,000 रुपये ही निकालने की अनुमति दी गई है। लेकिन सवाल ये है कि जिन लोगों के लाखों रुपये इस बैंक में जमा हैं, उनके पैसों का आखिर होगा क्या? 

लोग अपना पैसा सुरक्षित रखने के लिए उसे बैंकों में जमा करते हैं। लेकिन भारतीय रिजर्व बैंक ( RBI ) के कुछ नियम ऐसे हैं, जो आपके लिए जानना बेहद आवश्यक है। 

एक बैंक में जमा न कराएं सारे पैसे

कईं लोगों ने अपनी सारी कमाई पीएमसी बैंक में जमा कराई थी। लेकिन बैंक पर प्रतिबंध की खबर के बाद खाताधारक मुसीबत में आ गए हैं क्योंकि अब वे छह महीने तक सिर्फ 10,000 रुपये ही बैंक से निकाल सकते हैं। यही कारण है कि वित्ती सलाहकार एक ही बैंक में पैसा जमा करने की सलाह नहीं देते हैं। वित्तीय सलाहकारों के अनुसार, बचतकर्ताओं को दो-तीन खातों में पैसा रखना चाहिए और खाता को-ऑपरेटिव बैंक, निजी बैंक और सरकारी बैंक में होना चाहिए। सलाहकारों के मुताबिक को-ऑपरेटिव बैंक में ज्यादा पैसा रखना खतरनाक साबित हो सकता है। 

बैंक के दिवालिया होने पर मिलेंगे सिर्फ एक लाख रुपये

आरबीआई के नियमों के अनुसार, अगर बैंक का लाइसेंस किसी कारण से रद्द होता है तो फिर ग्राहकों की जमा रकम के वापस मिलने पर किसी तरह की जिम्मेदारी नहीं होगी। बैंक का लाइसेंस रहने तक, अगर किसी कारण से बैंक डूब जाता है, तो फिर प्रत्येक खाताधारक को केवल एक लाख रुपये ही मिलेंगे। मान लीजिए आपका किसी बैंक में किसी भी तरह का खाता है और उसमें 10 लाख रुपया जमा है। बैंक के दिवालिया होने की स्थिति में आपको केवल एक लाख रुपया ही मिलेगा। बाकी का नौ लाख रुपया डूब जाएगा।

वहीं अगर खाते में एक लाख रुपये से कम राशि जमा है, तो फिर नियमों के अनुसार बैंक आपको उतनी रकम वापस करेगा। खाते में एक रुपये से लेकर एक लाख रुपये जमा होने पर बैंक आपको पूरी राशि वापस करेगा। वैसे अभी तक इस तरह की स्थिति किसी बैंक में आई नहीं है। 

यह है नियम

आरबीआई के स्वामित्व वाली डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन के नियम के अनुसार देश में कार्यरत सभी बैंकों का बीमा होता है। यह बीमा खाताधारकों की जमा रकम पर भी है। हालांकि अगर बैंक का लाइसेंस रद्द हो जाता है तो फिर किसी तरह का बीमा खातों पर प्रभावी नहीं होगा। यह नियम सभी सरकारी, निजी और कोऑपरेटिव बैंकों पर लागू है। 

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