भोपाल। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में मचे सियासी संग्राम के बीच मुख्यमंत्री कमलनाथ (Kamal Nath) ने सोमवार को राज्यपाल लालजी टंडन (Lalji Tandon) को लंबी चिट्ठी लिखी है। इसमें सीएम ने कांग्रेस के कई विधायकों को बंदी बनाने का आरोप लगाया है. साथ ही उन्होंने कहा कि ऐसी परिस्थिति में विधानसभा में फ्लोर टेस्ट का कोई औचित्य नहीं बनता है। सीएम कमलनाथ ने लिखा, ‘फ्लोर टेस्ट का औचित्य तभी है, जब सभी विधायक बंदिश से बाहर हों और पूर्ण रूप से दबावमुक्त हों। ऐसा न होने पर फ्लोर टेस्ट कराना पूर्ण रूप से अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक होगा।
विधायकों को बयान देने को किया जा रहा है मजबूरकमलनाथ ने लगभग 6 पेज की लंबी चिट्टी लिखी है। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी ने कांग्रेस के कई विधायकों को बंदी बनाकर कर्नाटक पुलिस के नियंत्रण में रखकर उन्हें विभिन्न प्रकार के बयान देने को मजबूर किया जा रहा है।
कमलनाथ ने लगभग 6 पेज की लंबी चिट्टी लिखी है. उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी ने कांग्रेस के कई विधायकों को बंदी बनाकर कर्नाटक पुलिस के नियंत्रण में रखकर उन्हें विभिन्न प्रकार के बयान देने को मजबूर किया जा रहा है.
बता दें कि राज्यपाल लालजी टंडन ने विधानसभा अध्यक्ष को फ्लोर टेस्ट कराने का निर्देश दिया था. इसके बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सोमवार को राज्यपाल को उनकी चिट्ठी का जवाब दिया. कमलनाथ ने अपने पत्र में संविधान के अनुच्छेद 175(2) के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी उल्लेख किया. शीर्ष अदालत ने रेबिया एवं बमांग बनाम अरुणाचल प्रदेश के उपाध्यक्ष मामले में इस बाबत व्यवस्था दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले में रज्यपाल और विधानसभा के बीच के संबंधों की व्याख्या की थी.
राज्यपाल स्पीकार का मार्गदर्शक या परामर्शदाता नहीं है
विधानसभा अध्यक्ष के कार्य में हस्तक्षेप करना राज्यपाल के क्षेत्राधिकार में नहीं आता है. राज्यपाल विधानसभा अध्यक्ष का मार्गदर्शक या परामर्शदाता नहीं है. राज्यपाल अध्यक्ष से यह अपेक्षा नहीं कर सकता कि अध्यक्ष उस तरीके से सदन में कार्य करे जो राज्यपाल संवैधानिक दृष्टि से उचित समझता है. राज्यपाल तथा अध्यक्ष दोनों के अपने अपने स्वतंत्र संवैधानिक जिम्मेदारियां हैं.
राज्यपाल के नीचे काम नहीं करती विधानसभा
राज्यपाल द्वारा जारी किए गए ऐसे संदेश उनको प्रदत्त शक्तियों के अनुरूप नहीं आते. उसी प्रकार राज्यपाल विधानसभा की गतिविधियों में केवल इस कारण हस्तक्षेप नहीं कर सकते कि उनके मत में मुख्यमंत्री या मंत्रिपरिषद या मंत्रिपरिषद का कोई मंत्री या यहां तक कि कोई विधायक संविधान के अनुरूप कार्य नहीं कर रहा है अथवा राज्य के हित में काम नहीं कर रहा है. विधानसभा राज्यपाल के नीचे काम नहीं करती. कुल मिलाकर राज्यपाल विधानसभा के लोकपाल की तरह काम नहीं कर सकते.
सीएम ने उठाए सवाल
सीएम कमलनाथ ने अपनी चिट्ठी में कुछ सवाल भी उठाए. उन्होंने लिखा, ‘मुझे इस बात का आश्चर्य है कि आपने (राज्यपाल लालजी टंडन) पहली नजर में ही यह मान लिया कि मेरी सरकार ने बहुमत खो दिया है. ऐसा प्रतीत होता है कि आपने बीजेपी से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर ऐसा माना. इस संबंध में विधिक प्रावधान स्पष्ट हैं कि राज्यपाल मुख्य पार्टी से अलग हुए ऐसे किसी समूह का संज्ञान नहीं ले सकते हैं जो संविधान की अनुसूची 10 में वर्णित मापदंडों को पूरा नहीं करते. हकीकत यह है कि मौजूदा हालात में यह समूह (कांग्रेसी विधायक) बीजेपी की कैद में हैं. ऐसे में आपके (राज्यपाल) द्वारा पहली ही नजर में निष्कर्ष निकालना उचित नहीं है.’
