नई दिल्ली। India-China Border News: कोरोना वायरस को लेकर अंतरराष्ट्रीय मंच पर चौतरफा घिरा चीन, अब भारत-चीन सीमा विवाद के जरिये पूरी दुनिया का ध्यान भटकाने के प्रयास में जुट गया है। चीन एक तरफ गलवन घाटी के निकट एक महीने से चल रहे सीमा विवाद को शांति से सुलझाने का दिखावा कर रहा। दूसरी तरफ ड्रैगन, सोमवार रात सीमा पर दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुए खूनी संघर्ष को लेकर भारत को बदनाम करने की साजिश रच रहा है। चीन इस खूनी संघर्ष के लिए लगातार भारतीय सैनिकों पर झूठे आरोप लगा रहा है, जबकि हकीकत एकदम अलग है।
सोमवार रात सीमा पर सैनिकों के बीच हुए खूनी संघर्ष में भारत को बदनाम करने की पहल चीन में मंगलवार को ही अपनी सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स के जरिये कर दी थी। पहले चीनी मीडिया के जरिये भारत पर झूठे आरोप लगाए गए हैं और अब चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने भारत के खिलाफ जहर उगला है। न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजिआन (Zhao Lijian) ने बुधवार को पूरे विवाद और हिंसा के लिए भारत को ही जिम्मेदार ठहरा दिया।

चीन ने लगाए झूठे आरोप
न्यूज एजेंसी एएनआई द्वारा जारी बयान में झाओ लिजिआन (Zhao Lijian) ने आरोप लगाया, ‘गलवन वैली (Galwan Valley) हमेशा से चीन की रही है। सीमा से जुड़े मौजूदा विवादों पर कमांडर स्तर की वार्ता चल रही है। सर्वसम्मति से मुद्दे को सुलझाने का प्रयास किया जा रहा है। इन सबके बीच भारतीय सैनिकों ने सीमा प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया। हमनें भारत से कहा है कि वो अपने सैनिकों को अनुशासित करे और उन्हें सीमा पर उकसावे वाली कार्रवाई करने से तत्काल रोकें। बातचीत के जरिये इस विवाद को सुलझाने का प्रयास जारी रखें। पूरे मामले में हम कूटनीतिक और सैन्य माध्यमों से संचार बनाए हुए हैं।’

इतना ही नहीं चीनी प्रवक्ता झाओ लिजिआन ने भारत पर आरोप मढ़ते हुए कहा, ‘क्या सही है और क्या गलत, ये एकदम साफ है। सोमवार रात की हिंसा LAC (वास्तविक नियंत्रण रेखा) के पार चीन के क्षेत्र में हुई है। इसके लिए चीन को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है। चीन अब इस पूरे मामले में और कोई विवाद नहीं चाहता है।’

ये है ड्रैगन के आरोपों की सच्चाई
चीनी प्रवक्ता ने आरोपों के उलट हकीकत ये है कि करीब एक-डेढ़ महीने से चीनी सैनिक गलवन घाटी के निकट लगातार LAC (वास्तविक सीमा) का उल्लंघन कर रहे हैं। चीनी सेना ही करीब एक महीने पहले बॉर्डर प्रोटोकॉल का उल्लंघन करते हुए, न केवल प्रतिबंधित क्षेत्र में पहुंची, बल्कि वहां पर टेंट भी लगा दिये। चीनी सैनिक सीमा पर लगातार उकसावे वाली कार्रवाई कर रहे हैं। भारत ने इस पूरे मामले को बातचीत से हल करने का प्रयास किया, लेकिन चीन की तरफ से इसमें भी तमाम अड़ंगे लगाए गए। ऐसा कई बार हुआ कि चीन की तरफ से सीमा पर होने वाली वार्ता के लिए उच्चाधिकारी पहुंचे ही नहीं।
चीनी सेना ने पीछे हटने का किया था नाटक
पिछले दिनों बाचतीच के बाद दोनों देशों की सेनाओं ने LAC से पीछे हटकर अपनी-अपनी पोस्ट पर लौटने का फैसला किया था। भारतीय सैनिक तो अपनी पोस्ट पर वापस लौट आए, लेकिन चीनी सैनिकों ने वापस लौटने का केवल नाटक किया, जबकि उनके टेंट प्रतिबंधित क्षेत्र में इसके बाद भी लगे रहे। इतना ही नहीं, सोमवार रात को हुई हिंसक झड़प को लेकर चीन लगातार भारत पर आरोप लगा रहा है, लेकिन भारत की तरफ से आधिकारिक तौर पर चीन के खिलाफ कोई बयान नहीं दिया गया है। ये दर्शाता है कि भारत पूरे विवाद को बातचीत से निपटाने के लिए गंभीर है, जबकि चीन झूठे आरोप लगाकर मामले को बढ़ाने में जुटा है।
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डोकलाम में तीन वर्ष पहले भारत-चीन सीमा पर सैनिकों के बीच हुई हाथापाई। फाइल फोटो
भारत-चीन सीमा विवाद का पहला मामला नहीं
भारत-चीन सीमा विवाद का ये कोई पहला मामला नहीं है। गलवन घाटी से पहले डोकलाम में भी 16 जून 2017 को चीनी सेना ने इसी तरह से वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया था। यहां भी 73 दिनों तक तनाव की स्थिति बनी रही थी। विरोध करने पर चीनी सैनिकों ने भारतीय सैनिकों के साथ हाथापाई भी की थी। चीन अक्सर भारत से लगी सीमाओं पर इस तरह के उकसावे की कार्रवाई करता रहा है। भारत भी ड्रैगन की इस कूटनीति को बेहतर समझ रहा है। यही वजह है कि भारत ग्राउंड जीरो पर पल-पल नजर बनाए हुए है। बातचीत से विवाद को सुलझाने के साथ ही, कूटनीतिक स्तर पर भी प्रयास शुरू कर दिए गए हैं।
