ब्यूरो रिपोर्ट:
ह्यूमन इम्यूनो डेफिशिएंसी वायरस से होने वाली बीमारी को लाइलाज माना जाता है, लेकिन धीरे-धीरे स्थिति बदल रही है. हाल ही में अमेरिकी वैज्ञानिकों ने HIV से जूझ रही एक महिला को ठीक किया है. यह दुनिया का ऐसा तीसरा मामला है. इससे पहले 2 पुरुषों को इस जानलेवा बीमारी के चंगुल से बाहर निकाला गया था.
महिला के इलाज में शामिल डॉ. कोएन वेन बेसीन का कहना है कि नए स्टेम सेल ट्रांसप्लांट की मदद से अमेरिका में हर साल 50 HIV मरीजों को ठीक किया जा सकेगा. चूंकि डोनर के अम्बिलिकल कॉर्ड से निकाले गए सेल्स रिसीवर से पूरी तरह मैच होना जरूरी नहीं है, इससे ज्यादा डोनर्स मिलने में आसानी होगी. सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार, अमेरिका में 12 लाख लोग HIV की चपेट में हैं.
वैज्ञानिकों ने नए स्टेम सेल (कोशिका) ट्रांसप्लांट की मदद से HIV मरीज का इलाज किया है. इस तकनीक में डोनर के अम्बिलिकल कॉर्ड यानी गर्भनाल के खून का इस्तेमाल किया गया. इस खून से स्टेम सेल्स को निकाला गया, जिनसे पीड़ित महिला का इलाज हुआ. स्टेम सेल उन गंभीर बीमारियों में बड़े काम का है, जिनमें शरीर की कोशिकाएं डैमेज हो जाती हैं. ऐसे में स्टेम सेल उन कोशिकाओं को पुनर्जीवित करने में मदद करता है, जिससे बीमारी दूर होती है.
टिमोथी रे ब्राउन 12 साल से HIV से मुक्त रहे पर 2020 में कैंसर से उनकी मौत हो गई. 2019 में एडम कैस्टिलेजो को भी इस बीमारी से छुटकारा मिल गया था. हालांकि इन दोनों का इलाज बोन मैरो स्टेम सेल ट्रांसप्लांट से किया गया था. इनके डोनर्स में इस तरह का म्यूटेशन पाया गया था जो HIV संक्रमण को रोकने में मददगार है. दुनिया में केवल 20,000 डोनर्स में ही यह म्यूटेशन पाया गया है. इनमें से ज्यादातर लोग उत्तरी यूरोप के हैं.
