कल से शुरू होगा Mission Chandrayaan-2 काउंट डाउन, जानिये क्‍यों बेहद खास है यह मिशन

By | July 13, 2019

नई दिल्‍ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (Indian Space Research Organisation, ISRO) के मिशन चंद्रयान-2 की उल्‍टी गिनती रविवार से शुरू हो जाएगी। इसरो प्रमुख (ISRO chairperson) डॉ. के सिवन (Dr K. Sivan) ने शनिवार को बताया कि इस मिशन के 20 घंटे के काउंटडाउन की 14 जुलाई को सुबह 6.51 बजे से शुरू होने की उम्मीद है। यह 15 जुलाई को तड़के 2 बजकर 51 मिनट पर श्रीहरिकोटा के सतीश धवन सेंटर से लॉन्च होगा। विदेशी मीडिया ने इस मिशन को बेहद चुनौतीपूर्ण बताया है। आइये जानते हैं इस मिशन से जुड़ी खास बातें…

15 मंजिल ऊंचा है बाहुबली 
चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) भारत के सबसे ताकतवर जीएसएलवी मार्क-III (GSLV MK-III) रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा, जिसे बाहुबली नाम दिया गया है। शिवन ने बताया कि इस मिशन की सारी प्रक्रियाएं सुचारू रूप से जारी हैं। रॉकेट बाहुबली का वजन 640 टन है जो कि अब तक का सबसे ऊंचाई वाला लॉन्चर है। इसकी ऊंचाई 44 मीटर है जो कि 15 मंजिली इमारत के बराबर है। यह रॉकेट चार टन वजनी सेटेलाइट को आसमान में ले जाने में सक्षम है। इसमें तीन चरण वाले इंजन लगे हैं।

अब तक अछूता है चंद्रमा का यह क्षेत्र 
जीएसएलवी मार्क-III अपने साथ 3.8 टन वजनी चंद्रयान-2 स्‍पेसक्रॉफ्ट ले जाएगा। बाहुबली के निर्माण में 375 करोड़ रुपये की लागत आई है। यह लगभग 16 मिनट की अपनी उड़ान में चंद्रयान-2 को पृथ्‍वी की 170×40400 मिलोमीटर कक्षा में फेंकेगा। चंद्रयान-2 के 6 या 7 सितंबर को चांद की सतह पर उतरने का अनुमान है। चंद्रयान-2 भारत का अति महत्‍वाकांक्षी मिशन है। चंद्रयान-2 अपनी तरह का पहला मिशन है जो चंद्रमा के दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र के उस क्षेत्र के बारे में जानकारी जुटाएगा जो अब तक अछूता है।

चंद्रयान-2 के तीन हिस्से 
इस मिशन में चंद्रयान-2 के तीन हिस्‍से हैं जो महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। पहले भाग लैंडर का नाम विक्रम रखा गया है। इसका वजन 1400 किलो और लंबाई 3.5 मीटर है। इसमें 3 पेलोड (वजन) होंगे। यह चंद्रमा पर उतरकर रोवर स्थापित करेगा। दूसरा भाग ऑर्बिटर होगा जिसका वजन 3500 किलो और लंबाई 2.5 मीटर है। यह अपने साथ 8 पेलोड लेकर जाएगा। यह अपने पेलोड के साथ चंद्रमा का चक्कर लगाएगा। तीसरा भाग रोवर है जिसका वजन 27 किलो होगा। यह सोलर एनर्जी से चलेगा और अपने 6 पहियों की मदद से चांद की सतह पर घूम-घूम कर नमूने जमा करेगा।

 

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