ब्यूरो रिपोर्ट : उत्तर प्रदेश
UP विधानसभा चुनाव में धूम मचाने वाले CM योगी आदित्यनाथ पर लिखी किताब ‘द मॉन्क हू ट्रांसफॉर्म्ड उत्तर प्रदेश’ भी सुर्खियां बटोर रही है. किताब में योगी से जुड़े कई दिलचस्प अनसुने किस्सों का भी जिक्र है. सबसे दिलचस्प तो ये कि CM बनते ही योगी ने एक परम्परा को तोड़ा था. वो परम्परा कारों से जुड़ी थी. असल में UP में CM बनते ही लग्जरी गाड़ियां खरीदने की परम्परा थी. अखिलेश ने 7 करोड़ की 2 लग्जरी गाड़ियां खरीदीं, तो मायावती ने लैंडक्रूजर पर सवारी की. इसके उलट, योगी के पास जब नई गाड़ी खरीदने की फाइल पहुंची तो उन्होंने उसे सिरे से नकार दिया.
योगी आदित्यनाथ पर आई किताब ‘द मॉन्क हू ट्रांसफॉर्म्ड उत्तर प्रदेश’ के लेखकर शांतनु गुप्ता हैं. किताब को लेकर शांतनु को यह कहकर ट्रोल किया गया कि किताब में सिर्फ योगी की सफलता के किस्से हैं. इस पर शांतनु कहते हैं, यह मेरा चुनाव है. निगेटिव लिखने के लिए दूसरे बहुत लेखक हैं. वैसे भी खासतौर पर अंग्रेजी में उनके बारे में 99.9% निगेटिव ही लिखा गया है, तो मुझे लगा अंग्रेजी भाषा में उनके बारे में लिखने की बहुत जरूरत है.
गरुड़ प्रकाशन के मुताबिक दिसंबर 2020 में आई इस किताब की सेल का आंकड़ा करीब 80,000 को भी पार कर चुका है. शांतनु कहते हैं, यह किताब मैंने योगी की इमेज बिल्डिंग के लिए नहीं बल्कि UP और यहां के लोगों को लेकर देशभर में जो निगेटिव इमेज बनी पड़ी है, उसे तोड़ने के लिए लिखी है. हां, जैसे रामायण के नायक राम थे वैसे ही इस किताब के नायक ‘योगी’ हैं.
शांतनु ने बताया कि इस किताब के लिए वह इसी महीने US में 17 दिन के टूर पर रहे. हार्वर्ड समेत कई यूनिवर्सिटीज, टेंपल और भारतीय प्रवासियों के बीच लेक्चर दिए. US से लेकर UK तक, कई मशहूर लाइब्रेरियों में इस किताब को रखा गया है, तो देश में जयपुर लिट फेस्ट से लेकर कोलकाता बुक फेयर तक इस किताब ने सुर्खियां बटोरीं. शांतनु ने बताया कि इस किताब को लेकर वह अब तक डेढ़ सौ से ज्यादा लेक्चर और कॉन्फ्रेंस अटैंड कर चुके हैं.
ऐसा नहीं कि किताब को लेकर प्रयास केवल योगी के लिए ही हुआ. इससे पहले UP के पूर्व CM अखिलेश यादव पर भी 2017 के चुनाव से पहले अग्नि परीक्षा नाम से किताब लॉन्च हुई थी. इस किताब में अखिलेश की सॉफ्ट इमेज, उनकी लीडरशिप क्वॉलिटी और विकास को लेकर समझ पर कई चैप्टर लिखे गए थे. हालांकि उस साल वह सत्ता में नहीं आए और किताब भी चर्चा से बाहर ही रही.
इस किताब में योगी के गोरखनाथ मठ का जिक्र किया गया है. दरअसल, मठ के कंस्ट्रक्शन का जिम्मा शुरू से लेकर अब तक एक मुस्लिम के कंधे पर है. उस कॉन्ट्रेक्टर से बातचीत भी इस किताब में दर्ज है, जिसका लब्बोलुआब यह है कि योगी मुस्लिम विरोधी नहीं. मठ के आसपास मुस्लिमों की दुकानें हैं,
उनकी भी रायशुमारी है. इससे से धारणा मजबूत हुई कि योगी इस्लामोफोबिया से प्रभावित नहीं हैं. किताब में अखिलेश के मुस्लिम प्रेम के किस्से भी दर्ज हैं. लेखक ने 2012 के चुनाव में अखिलेश के उस वादे को याद दिलाया है, जिसमें जेलों में बंद कई मुस्लिम आरोपियों को रिहा करने का वादा किया गया था. हालांकि अदालत ने ऐसा करने से मना कर दिया था.
