श्रीहरिकोटा। भारत के महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण में अब कम से कम दो महीने का वक्त लग सकता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, रॉकेट में आई खामी का पता लगाकर उसे दूर करने के बाद उसे दोबारा प्रक्षेपण के लिए तैयार करने में वक्त लग जाएगा। इसलिए सितंबर से पहले चंद्रयान-2 के लॉन्च किए जाने की उम्मीद नहीं है। अंतरिक्ष अनुसंधान से जुड़े वैज्ञानिकों ने प्रक्षेपण टालने के इसरो के फैसले की सराहना की है।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के पूर्व वैज्ञानिक रवि गुप्ता ने कहा कि इस तरह के मिशन में इस तरह की तकनीकी खामी आती रहती है। सबसे सराहनीय बात यह है कि वैज्ञानिकों ने बड़ा हादसा होने से पहले इसका पता लगा लिया। गुप्ता ने कहा कि रॉकेट को अब लॉन्चच पैड से हटाया जाएगा, उसकी खामियों का पता लगाया जाएगा और फिर उसे दूर किया जाएगा। इसमें कई दिन लग जाएंगे। इसके बाद रॉकेट को दोबारा प्रक्षेपण के लिए तैयार करने में कम से कम 50 दिन का समय लगेगा।
बता दें कि रविवार की रात और सोमवार को तड़के 2.51 मिनट पर चंद्रयान-2 को लांच किया जाना था। इसके लिए सारी तैयारी भी हो गई थी, लेकिन इससे 56 मिनट 24 सेकेंड पहले मिशन कंट्रोल सेंटर ने प्रक्षेपण को स्थगित करने की घोषणा की। प्रक्षेपण यान जीएसएलवी-एमके 3 जिसे ‘बाहुबली’ नाम दिया गया है, उसमें आई तकनीकी खामी के चलते प्रक्षेपण को रोकना पड़ा।
मिशन कंट्रोल सेंटर की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि मौजूदा लांच विंडो के तहत अब चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण संभव नहीं है। प्रक्षेपण की अगली तारीख की घोषणा बाद में की जाएगी। लांच विंडो वह समय होता है जब चंद्रमा पृथ्वी के सबसे करीब होता है और उस दौरान दूसरे उपग्रहों से टकराने का खतरा भी कम होता है। इसरो के दो पूर्व अधिकारियों ने बताया कि रॉकेट के दबाव बनाने वाली प्रणाली में खामी आई होगी। उन्होंने बताया कि ग्रहों के गतिमान रहने के चलते अंतर-ग्रहीय मिशन जटिल होता है।
