भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमल नाथ ने 3 नवंबर को भाजपा विधायक प्रहलाद सिंह लोधी की सदस्यता खत्म होने के बाद भोपाल में मीडिया को संबोधित किया था। इस दौरान उन्होंने कहा था आगे-आगे देखिए क्यो होता है। सीएम ने मुस्कुराकर कहा- दो-तीन सीटें और आएंगी। सीएम के इस बयान के एक ही दिन बाद भाजपा का एक और विधायक बागी हो गया और सरकार के काम की तारीफ करते हुए कहा- मैं कमलनाथ के साथ हूं और कांग्रेस सरकार के कामकाज से संतुष्ट हूं। इस बायन के बाद मध्यप्रदेश में एक बार फिर से सियासत तेज हो गई है।
क्या था कमल नाथ का दावा
सीएम कमल नाथ ने कहा- आप अभी इंतजार करिए कांग्रेस के पास अभी 2-3 सीटें और आएंगी। कमल नाथ ने कहा है कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार पहले दिन से ही पूर्ण बहुमत में थी। सीएम कमल नाथ ने कहा था कि- मध्यप्रदेश में विधानसभा स्पीकर और डिप्टी स्पीकर का चयन बहुमत के आधार पर हुआ था।
भाजपा को झटका
कमलनाथ सरकार के खिलाफ सोमवार को भाजपा ने प्रदेशव्यापी आंदोलन किया लेकिन विंध्य कसे आई एक खबर ने भाजपा के आंदोलन को बड़ा झटका दिया। शहडोल जिले की ब्यौहारी विधानसभा सीट से विधायक शरद कोल ने अपनी ही पार्टी के खिलाफ हमला बोलते हुए कहा- मैं भाजपा का विधायक हूं पर कमलनाथ के साथ हूं। उन्होंने कहा में कांग्रेस की सरकार के कामकाज से पूरी तरह से संतुष्ट हूं।
विधानसभा सत्र में होगा बड़ा उलटफेर
शरद कोल ने कहा- मैंने भाजपा नहीं छोड़ी है मैं अभी भी भाजपा का सदस्य हूं। उन्होंने कहा कि मेरी गिनती आज भी भाजपा सदस्यों के रूप में होती है। अपने विधानसभा क्षेत्र के विकास के लिए मैं कमल नाथ सरकार के साथ हूं। इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि दिसंबर में होने वाले विधानसभा सत्र में जल्द खुलासा हो जाएगा कि मैं किस पार्टी के साथ हूं। इसके साथ ही उन्होंने दिसंबर महीने में होने वाले विधानसभा सत्र में कई बड़े खुलासे होंगे।
शरद क्यों बदल रहे हैं पाला?
जानकारों का कहना है कि झाबुआ उपचुनाव के बाद कांग्रेस का विश्वास बढ़ा है। ऐसे में शरद कोल एक बार फिर से अपना पाला बदल रहे हैं। भाजपा के कई विधायकों को लेकर कांग्रेस लगातार संपर्क कर रही है। ज्योतिरादित्य सिंधिया की नाराजगी की खबरों के बीच शरद ने अपना पाला बदलते हुए कहा था कि मैं भाजपा के साथ हूं लेकिन झाबुआ उपचुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद शरद कोल को एक बार फिर से कमल नाथ सरकार स्थाई दिखाई दे रही है जिस कारण से उन्होंने एक बार फिर से अपना पाला बदला है।
विधानसभा सत्र में की थी बगावत
बता दें कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिराने का दावा करने वाली भाजपा का दांव उस वक्त उल्टा पड़ गया था। जब भाजपा के दो विधायकों ने सदन में दंड विधि (संशोधन) विधायक पर सरकार के पक्ष में वोटिंग की थी। भाजपा के दो विधायकों के कांग्रेस के पक्ष में वोटिंग करने से कमल नाथ सरकार मजबूत हुई थी। भाजपा के नारायण त्रिपाठी और शरद कोल ने सरकार के समर्थन में वोटिंग की थी।
